भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा ने रबी फसलों के लिए एडवाइजरी जारी की है. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि आने वाले दो दिनों में बारिश की संभावना को देखते हुए सभी खड़ी फसलों में सिंचाई और किसी भी तरह का छिड़काव करने से बचें. अगर गेहूं की फसल में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो उससे बचाव के लिए किसान क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी @ 2.0 लीटर प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें. मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. शुरुआती अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें, ताकि उसका पूरे खेत में फैलाव न हो.
चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. ऐसे खेतों में जहां फसल में 15 से 20 फीसदी फूल खिल गए हों उनमें प्रति एकड़ 3-4 ट्रैप लगाएं. जबकि, कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें. इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं.
इस मौसम में पालक, धनिया और मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है. जिन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है और वह फसल 90-105 दिन की होने वाली है, वे अब खुदाई करते समय अच्छी और लंबी गाजर का चुनाव करें, जिनमें पत्ते कम हों. इन गाजरों के पत्तों को 4 इंच का छोड़कर ऊपर से काट दें. गाजरों का भी उपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें. अब इन बीज वाली गाजरों को 45 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाएं.
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वो इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई कर दें. रोपाई वाले पौध छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए. पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें. रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फॉस्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश आखिरी जुताई में ड़ालें. पौधों की रोपाई अधिक गहराई में न करें. कतार से कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें.
गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. प्रति एकड़ में 3-4 ट्रैप काफी होंगे. गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें. यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर या इन्डोफिल-एम 45 @ 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
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