नीम कोटेड यूरिया का कैसे करें इस्तेमाल? इन 5 सावधानियों का जरूर रखें ध्यान
अगर नीम कोटेड यूरिया को मिट्टी की सतह पर डाला जाता है, तो अमोनियम कार्बोनेट का तेजी से हाइड्रोलिसिस हो सकता है और इससे अमोनिया की मात्रा तेजी से खत्म हो सकती है. इसलिए यूरिया को कहां देना है, इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
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नीम कोटेड यूरिया सामान्य यूरिया के अनुपात में 5 से 10 प्रतिशत तक कम लगती है.
यूरिया ऐसी खाद है जिसके बिना खेती शायद अधूरी है. किसी भी किसान से पूछें तो खादों में सबसे पहले वह यूरिया का ही नाम लेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पौधों के विकास और वृद्धि के लिए यूरिया सबसे जरूरी खाद है. इसकी बनावट की बात करें तो इसमें 46 परसेंट नाइट्रोजन होने से यह फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण नाइट्रोजन खाद है. इस यूरिया से और भी कई चीजें बनाई जाती हैं जैसे प्लास्टिक और पशुओं के लिए पूरक आहार आदि. अब इस यूरिया का एक नया रूप मार्केट में आ रहा है जिसे नीम कोटेड यूरिया कहते हैं.
यूरिया के दानों पर जब नीम की लेप लगा दी जाए तो उसे नीम कोटेड यूरिया कहते हैं. इस नीम कोटेड यूरिया के कई लाभ हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि यूरिया का नाइट्रोजन एकदम से मिट्टी या फसलों में अवशोषित नहीं होता बल्कि धीरे-धीरे जाता है. यूरिया पर नीम लगाने से यह नाइट्रिफिकेशन के काम को धीमा कर देती है जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों के अवशोषण में तेजी आती है. साथ ही भूजल प्रदूषण भी कम होता है. इस नीम कोडेट यूरिया के फायदे कई हैं, बस किसानों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.
5 पॉइंट्स में जानें सावधानियां
फसल के स्थान, अनुपात और समय को ध्यान में रखते हुए खेत की मिट्टी में नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग करना चाहिए. इन बातों का ध्यान नहीं रखें तो फसल को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है.
अगर नीम कोटेड यूरिया को मिट्टी की सतह पर डाला जाता है, तो अमोनियम कार्बोनेट का तेजी से हाइड्रोलिसिस हो सकता है और इससे अमोनिया की मात्रा तेजी से खत्म हो सकती है. इसलिए यूरिया को कहां देना है, इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
नीम कोटेड यूरिया को बुवाई के समय और खड़ी फसलों के टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए. बुवाई के समय एक्सपर्ट के बताई खुराक की आधा मात्रा और बाकी मात्रा 15 दिनों बाद फसल में देनी चाहिए. 15 दिनों के अंतराल पर नीम कोटेड यूरिया को 2-3 बराबर भागों में या 30 दिनों के बाद शेष भाग को देना चाहिए.
अगर इसकी बड़ी मात्रा को बीज के बहुत करीब रखा जाता है तो मिट्टी में यूरिया का तेजी से हाइड्रोलिसिस हो सकता है और इससे नरम अंकुर को नुकसान हो सकता है. इसलिए बीज को जितनी मात्रा की जरूरत हो, उतनी ही मात्रा दी जानी चाहिए.
किसी भी फसल के लिए जरूरी होता है यह जानना कि उसे यूरिया की कितनी मात्रा चाहिए होती है. यह भी जानना होता है कि किस तरह की मिट्टी में कितनी यूरिया दी जानी है. इन दोनों बातों का ध्यान रखकर ही नीम कोटेड यूरिया को खेत में और फसल पर डालें.