हिमाचल प्रदेश में पिछले 10 दिनों से लगातार बारिश हो रही है. इससे मक्के की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान का भय सता रहा है. खास कर ऊना जिले में मक्के की फसल को कुछ ज्यादा ही नुकसान पहुंचा है. जिले के किसानों का कहना है कि बारिश से करीब 10 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है. साथ ही मक्के के ऊपर कीटों का अटैक भी बढ़ गया है. ये कीट मक्के की पत्तियों को तेजी से चट कर रहे हैं. यदि इनके प्रकोप को नहीं रोका गया, तो उपज भी प्रभावित होगी.
'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, ऊना जिले के ज्यादातर इलाकों में मक्के की फसल पर ‘फॉल आर्मीवर्म’ का हमला हुआ है. कृषि विभाग (ऊना) के उप निदेशक कुलभूषण धीमान ने कहा कि किसानों को अपनी खड़ी फसल को हुए नुकसान की सूचना अपने संबंधित पटवारियों को देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर नुकसान राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, तो सरकार द्वारा किसानों को राहत देने का फैसला करने पर भी किसान मुआवजे का दावा नहीं कर पाएंगे.
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दरअसल, ऊना जिले को राज्य का खाद्यान्न कटोरा कहा जाता है, जहां 31,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मक्के की खेती होती है. जबकि जिले में धान का रकबा 1,900 हेक्टेयर है. हालांकि खरीफ सीजन के दौरान कुछ किसान सब्जियों, तिलहन और दालों की भी खेती करते हैं. लेकिन मक्का परंपरागत रूप से इस क्षेत्र की खरीफ फसल है. धीमान ने कहा कि पिछले दो वर्षों से जिले में ‘फॉल आर्मीवर्म’ का संक्रमण देखा जा रहा है. हालांकि, इस साल विभाग के पास कीटनाशक का पर्याप्त स्टॉक है. ऐसे में किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि जैसे ही प्रकोप के बारे में पहली रिपोर्ट मिली, किसानों को क्लोरेंट्रानिलिप्रोले 18.5 प्रतिशत कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी गई है. खास बात यह है कि ये कीटनाशक कृषि विभाग के बिक्री केंद्रों पर कोराजेन नाम से उपलब्ध है. उप निदेशक ने कहा कि किसान 15 लीटर स्प्रे पंप के लिए कीटनाशक की 4-5 मिली मात्रा मिलाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं. फिर इसके 15 दिनों के बाद किसानों को दूसरी बार छिड़काव करना पड़ेगा. इससे ‘फॉल आर्मीवर्म’ के हमले रूक जाएंगे. उन्होंने कहा कि फसल को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखने पर ही किसानों को कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए था.
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