रबी फसलों की बुआई के लिए DAP खाद की कमी से किसानों की परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है. दरअसल, पिछले तीन दिनों से हरियाणा के हिसार में खाद उपलब्ध नहीं होने के बावजूद किसान डीएपी बैग के लिए दुकानों के बाहर घंटों कतार में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं. जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को वैकल्पिक उपाय अपनाना चाहिए और एनपीके बैग का उपयोग करना चाहिए, जो उपलब्ध हैं, लेकिन किसानों के साथ-साथ कृषि विशेषज्ञों की भी इस पर अलग-अलग राय है.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के पूर्व निदेशक विस्तार डॉ. राम कुमार ने बताया कि एनपीके के एक बैग में 16 किलो फास्फोरस होता है, जबकि डीएपी के एक बैग में 23 किलो फास्फोरस होता है. रबी की बुआई के पैकेज और प्रथाओं के अनुसार, गेहूं की बुआई के लिए एक एकड़ जमीन पर 24 किलो फास्फोरस की आवश्यकता होती है.
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उन्होंने बताया कि इस प्रकार, एनपीके का एक बैग पर्याप्त नहीं है. इसके अलावा, एनपीके बैग की कीमत डीएपी बैग से 50 रुपये अधिक है. उन्होंने कहा कि डीएपी बैग की कीमत 1,350 रुपये है और इससे इनपुट लागत में भारी वृद्धि होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान बाजार से एनपीके खरीदना शुरू कर देते हैं तो इसकी उपलब्धता की समस्या हो सकती है. उन्होंने कहा, ऐसी स्थिति में एनपीके की भी कमी होगी.
शुक्रवार सुबह चार बजे ही कई किसान नई अनाज मंडी स्थित हिसार सहकारी विपणन समिति कार्यालय के बाहर खाद खरीदने के लिए एकत्र हो गए, लेकिन शाम तक खाद नहीं आई और किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा.
देवा, धान्सू, मिर्जापुर, तलवंडी राणा, खरकड़ी, हरिता, कालवास, गंगवा और जुलाना के किसान खाद खरीदने के लिए नई अनाज मंडी पहुंचे. उन्होंने बताया कि वे तीन दिन से डीएपी का इंतजार कर रहे हैं. मार्केटिंग सोसायटी के दफ्तर के बाहर नोटिस भी चिपका दिया गया है, जिसमें लिखा है कि डीएपी उपलब्ध नहीं है. मार्केटिंग सोसायटी की दुकान पर अकाउंटेंट सुंदर लाल ने बताया कि गोदाम में खाद नहीं है.
धान्सू गांव के किसान रामफल ने बताया कि वे पिछले चार दिनों से रोजाना हिसार आ रहे हैं, लेकिन हर दिन खाली हाथ लौटना पड़ रहा रहा है. गंगवा गांव के हजारी लाल, कैमरी गांव के सतबीर सैनी और कई अन्य लोगों ने कहा कि उनके लिए यह बहुत बड़ी निराशा की बात है.
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