किसानों की मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन-2 के 270 दिन पूरे होने पर शंभू बॉर्डर पर किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने गुरुवार को अहम बैठक की. बैठक में पंजाब और देशभर में धान खरीद, लिफ्टिंग और डीएपी की समस्या पर चर्चा हुई. किसान मजदूर मोर्चा की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें उन्होंने धान खरीद को लेकर पंजाब सरकार की वादाखिलाफी और रवैये पर सवाल उठाया. मोर्चा ने कहा कि 10 नवंबर तक इस मुद्दे का समाधान पंजाब सरकार नहीं करती है तो 11 नवंबर को बड़ा फैसला लिया जाएगा.
पिछले दिनों फगवाड़ा में पंजाब सरकार के कृषि मंत्री और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के साथ हुई बैठक का विवरण देते हुए किसान नेताओं ने पंजाब सरकार को घेरा और सवाल पूछे. नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर पंजाब सरकार खरीद पूरी नहीं करती है और लिफ्टिंग नहीं करती है तो सरकार को बड़ा हर्जाना भुगतना पड़ेगा.
किसान नेताओं ने कहा कि पराली और डीएपी के मामले को नहीं सुलझाया तो उन्हें सरकार के खिलाफ बड़ा ऐलान करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री के बार-बार आश्वासन के बावजूद किसान कई दिनों तक मंडी में परेशान हो रहा है और आज भी कई मंडियों से धान की खरीद में कटौती की खबरें आ रही हैं.
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किसान नेताओं ने भारत सरकार के कृषि मंत्री शिवराज चौहान के कामकाज पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, जहां से कृषि मंत्री आते हैं, वहां भी किसानों को डीएपी को लेकर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसान नेताओं ने अपने ब्लॉक और जिला स्तर के सहयोगियों से भी पंजाब में डीएपी की जमाखोरी और ब्लैकमेलिंग को रोकने के लिए तैयार रहने को कहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब में जमाखोरी और कालाबाजारी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. किसान मजदूर मोर्चा ने अगली कार्ययोजना को लेकर 11 नवंबर को शंभू बॉर्डर पर एक बड़ी और अहम बैठक बुलाई है, जिसमें केएमएम के देश स्तर के नेता हिस्सा लेंगे.
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