इस समय आम के बागों में मंजर (बौर) निकल रहे हैं, जो आम के उत्पादन की एक अहम अवस्था होती है. इस दौरान उचित देखभाल और सावधानियों का पालन करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है. कृषि विज्ञान केंद्र, हापुड़ के प्रमुख और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार यादव ने आम के किसानों के लिए कुछ विशेष सुझाव दिए हैं. उन्होंने आम के बागों को आम के फुदका (हॉपर), थ्रिप्स और मिलीबग कीटों से बचाने के उपाय बताए हैं.
आम का फुदका कीट पेड़ की पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचाता है. इसके शिशु और वयस्क कीट पुष्पगुच्छ, पत्तियों और फलों के कोमल हिस्सों से रस चूसते हैं, जिससे बौर नष्ट हो जाता है और फल अविकसित अवस्था में गिर जाते हैं. अत्यधिक रस चूसने से पत्तियां मुड़ने लगती हैं. अगर भुनगे की उपस्थिति दिखाई दे, तो तुरंत इमिडाक्लोप्रिड 0.33 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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इस समय आम के बौर पर थ्रिप्स का प्रकोप भी एक गंभीर समस्या हो सकती है. ये छोटे, पतले कीट होते हैं जो आम के बौर, पत्तियों और फलों पर हमला करते हैं. ये रस चूसते हैं, जिससे बौर और पत्तियां सूख जाती हैं और फल विकृत हो जाते हैं. थ्रिप्स का प्रकोप गर्म और शुष्क मौसम में अधिक होता है. यदि आम के बगीचों में थ्रिप्स का प्रकोप दिखाई दे, तो इमिडाक्लोप्रिड 0.33 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. या थायामेथोक्साम (0.33 ग्राम/मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि खुले बौर पर छिड़काव न करें.
मिलीबग आम के मंजर और कोमल टहनियों पर आक्रमण करता है, जिससे फूल आने में बाधा उत्पन्न होती है. यह कीट सफेद, मोमी स्राव से ढका होता है, जिससे इसे रुई जैसा रूप मिलता है. इसके द्वारा छोड़े गए मीठे स्राव (हनीड्यू) से संक्रमण की पहचान की जा सकती है. यह संक्रमण आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है. मिलीबग पेड़ की शाखाओं और तनों पर पहुंचकर रस चूसता है, जिससे आम की मंजरी सूख जाती है और फल गिर जाते हैं. यह एक प्रकार का मीठा स्राव छोड़ता है, जिससे सूटी मोल्ड (काली फफूंद) उत्पन्न होती है. यह फफूंद पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बाधित करती है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जब आम के फल तेजी से बढ़ते हैं और वातावरण में उचित नमी नहीं होती, तो उनके छिलके फटने लगते हैं, जिससे फलों का मूल्य कम हो जाता है. इस समस्या से बचने के लिए फल तैयार होने के समय हल्की सिंचाई करें. 15 अप्रैल से 15 मई के बीच बोरेक्स (4% घोल) का दो बार छिड़काव करें. इन उपायों को अपनाने से आम के बाग को कीटों से बचाया जा सकता है. फलत बढ़ेगी और फलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी, जिससे बाजार में अच्छे दाम प्राप्त किए जा सकेंगे.
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