केमिकल खाद ही सबकुछ नहीं, इसके कम इस्तेमाल से भी मिल सकती है अच्छी उपज...खास रिपोर्ट

केमिकल खाद ही सबकुछ नहीं, इसके कम इस्तेमाल से भी मिल सकती है अच्छी उपज...खास रिपोर्ट

ब्रिटेन में एक रिसर्च में यह जानकारी सामने आई है कि खाद के कम इस्तेमाल से भी अच्छी उपज पाई जा सकती है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पूरे यूरोप में खादों की किल्लत है. ऐसे में किसानों ने खेती में कम खाद का प्रयोग शुरू किया. लेकिन इसके नतीजे चौंकाने वाले मिले हैं.

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केमिकल खाद ही सबकुछ नहीं, इसके कम इस्तेमाल से भी मिल सकती है अच्छी उपज...खास रिपोर्टकेमिकल खादों का इस्तेमाल फसलों पर बुरा असर डालता है

अगर आपको लगता है कि केमिकल खाद के कम इस्तेमाल से फसलों की उपज नहीं बढ़ाई जा सकती तो आप गलत हैं. ब्रिटेन में एक रिसर्च में यह बात सामने आई है. रिसर्च बताती है कि खाद के कम प्रयोग से भी अच्छी-खासी उपज ली जा सकती है. दरअसल, ब्रिटेन में इसे लेकर एक बड़ा प्रयोग किया गया जिसके नतीजे चौंकाने वाले आए. ब्रिटेन के मशहूर अखबार 'दि गार्डियन' ने इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की है. हुआ यूं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप के देशों पर नेचुरल गैस का संकट मंडरा गया. रूस ने गैस की सप्लाई या तो बंद कर दी या उसमें कटौती की. इससे यूरोपीय देशों ने गैस के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी शुरू की. चूंकि गैस से ही केमिकल खाद भी बनाए जाते हैं, इसलिए खाद कम बने और इस्तेमाल भी घटा. लेकिन ऐसा देखा गया कि खाद कम लगाने के बावजूद फसलों की उपज अच्छी मिली.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ब्रिटेन में खाद की कीमत लगभग तीन गुना तक बढ़ गई. इसका असर खेती पर भी दिखना शुरू हुआ. ऐसे में किसानों ने खाद का इस्तेमाल कम करना शुरू कर दिया. पर्यावरण विभाग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों ने गेहूं, जौ, तिलहन और चुकंदर जैसी फसलों में कम खाद का इस्तेमाल करना शुरू किया. रिपोर्ट के मुताबिक, 2010-19 की तुलना में किसानों ने इन फसलों में 27 परसेंट तक कम खाद का प्रयोग किया. इसके बावजूद इन फसलों से सामान्य की तुलना में 2.4 परसेंट अधिक उपज मिली.

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ब्रिटेन में चौंकाने वाला खुलासा

हालांकि इसका एक अपवाद भी देखा गया. ब्रिटेन के किसानों ने आलू की फसल में 10 फीसद अधिक खाद का प्रयोग किया, लेकिन उपज में 8.6 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि केमिकल खाद का खेती में अधिक प्रयोग कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है. खेतों में डाले जाने वाली खाद से पानी के स्रोतों में 40 परसेंट तक प्रदूषण बढ़ जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जल स्रोतों में नाइट्रेट प्रदूषण का 50 परसेंट हिस्सा और फॉस्फोरस का 25 परसेंट हिस्सा खेती की वजह से देखा जाता है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि कम खाद के इस्तेमाल से भी अच्छी उपज इस बात की ओर इशारा करती है कि खेती में खाद ही सबकुछ नहीं है, इसे कम करके भी अच्छी पैदावार पाई जा सकती है. एक्सपर्ट का कहना है कि रिसर्च में पता चलता है कि खेतों में जिन खादों का प्रयोग होता है, उसे फसलें पूरी तरह से सोख नहीं पाती हैं बल्कि केमिकल खादों का बहुत बड़ा हिस्सा बिना इस्तेमाल के पानी या हवा में मिल जाता है. इससे प्रदूषण फैलता है. 

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इन सभी हालातों के बीच खाद की बढ़ी कीमतों ने किसानों को एक बड़ा मौका दिया है कि वे इसका कम प्रयोग करते हुए अच्छी उपज लेने पर ध्यान लगाएं. खाद की बढ़ी कीमतों ने किसानों को इस बात के लिए भी प्रेरित किया है कि वे प्राकृतिक खेती पर ध्यान दें. इससे खेती को कम खर्चीली और सेहतमंद बनाने में मदद मिलेगी.

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