मॉनसून के आते ही खरीफ फसलों की बुवाई जोरों पर है. इस बार मौसम विभाग ने सामान्य से ज्यादा वर्षा की संभावना जताई है. ऐसे में बाजरे की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय एक सुनहरा अवसर बन सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ खास किस्मों की मांग इस सीजन में काफी बढ़ेगी और इनसे उपज भी ज्यादा मिलेगी. उन्होंने खासतौर पर ऐसी तीन उन्नत किस्मों का जिक्र किया है जिनसे किसानों को बंपर उत्पादन के साथ ज्यादा मुनाफा हो सकता है.
विशेषज्ञों की मानें तो अगर इस खरीफ सीजन में किसान इन उन्नत किस्मों की खेती करते हैं तो न सिर्फ उपज में इजाफा होगा बल्कि बाजार में बेहतर दाम मिलने की भी संभावना है. सरकार की तरफ से भी बाजरे को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इजाफा किया गया है. ऐसे में बाजरा उगाने वाले किसानों के लिए यह एक फायदे का सौदा साबित हो सकता है. एक नजर डालिए इन तीन खास किस्मों पर-
राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित यह किस्म सूखा और कम बारिश वाले क्षेत्रों के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है. इसकी फसल 75-80 दिनों में तैयार हो जाती है. औसतन 22-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. इसकी खासियत है कि यह झुलसा रोग और कीटों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधक है.
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की तरफ से तैयार यह किस्म पूरे उत्तर भारत में लोकप्रिय हो चुकी है. इसकी फसल 65-70 दिनों में तैयार हो जाती है और औसतन 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. यह किस्म खासतौर पर कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसके दाने छोटे लेकिन पोषण में भरपूर होते हैं.
यह एक हाइब्रिड किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है. इसकी उपज क्षमता 28-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. यह किस्म झुलसा, पत्ती के धब्बे और तना गलन जैसी बीमारियों के लिए प्रतिरोधक है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह बाजार में अच्छे दाम दिला सकती है क्योंकि इसका दाना आकार में बड़ा और गुणवत्ता में बेहतर होता है.
कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की राय है कि बाजरे की इन किस्मों का चयन करते समय अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी और सिंचाई की उपलब्धता को ध्यान में रखें. समय पर बुवाई और सही मात्रा में खाद व सिंचाई से इन किस्मों से अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है.
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