मोटे अनाज (मिलेट्स) के बहुआयामी फायदों को देखते हुए पूरी दुनिया में इस साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाया जा रहा है. इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को समानांतर बढ़ाने के उपक्रम तेज कर दिए हैं. इसके तहत राज्य सरकार की विभागीय बैठकों में मिलेट्स से बने उत्पादों को परोसने और इन उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में जी-20 की आगामी बैठक को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करने की पहल की है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने आज मिलेट्स के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ाने के उपायों पर आहूत बैठक में मोटे अनाजों के उत्पादों की श्रंखला को बढ़ाने के निर्देश दिए. मिश्र ने बैठक में कहा कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है, इसलिये मिलेट्स का उत्पादन एवं उपभोग बढ़ाने के काम को विशेष ध्यान देकर किया जाये.
उन्होंने कहा कि अगले माह भारत में होने जा रही 'जी-20' देशों की बैठक से सम्बन्धित सभी आयोजनों व उत्तर प्रदेश में हो रही 'ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट' को मिलेट्स की ब्राण्डिंग के लिहाज से एक खास अवसर के रूप में लिया जाए. उन्होंने निर्देश दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के इन सम्मेलनों से जुड़े आयोजनों में मिलेट्स से बने उत्पादों की ब्राण्डिंग एवं मार्केटिंग करायी जाए. जिससे इनकी पहचान वैश्विक स्तर पर बन सके. साथ ही मिश्र ने सरकारी बैठकों एवं आयोजनों में इन उत्पादों का इस्तेमाल बढ़ाने को कहा. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत राज्य सचिवालय से ही की जा सकती है. उन्होंने सचिवालय स्थित कैन्टीन एवं आकांक्षा मसाला मठरी केन्द्र को मिलेट्स उत्पाद एवं उससे तैयार होने वाले पकवान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि विभागीय बैठकों और कार्यक्रमों में भी मिलेट्स से तैयार उत्पाद एवं व्यंजनों को परोसा जाए. मिश्र ने कहा कि सरकार के स्तर पर जब शुरुआत तो होगी तभी जनसामान्य में भी जागरुकता तेजी से आएगी.
उन्होंने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों तथा मिड-डे मील कार्यक्रम के अंतर्गत मिलेट्स के उत्पादों को सम्मिलित करने का भी सुझाव दिया. मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समस्त होटल एवं रेस्टोरेंट में मिलेट्स के विभिन्न उत्पादों को मेन्यू में शामिल कराया जाए. खाद्य उत्पादों को तैयार करने वाले शेफ को ट्रेनिंग दी जाए. उन्होंने मिलेट्स को प्रमोट करने के लिये शेफ कम्पटीशन आयोजित कराने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि मंडियों में भी मिलेट्स के आउटलेट एवं स्टोर खोले जायें.
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मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ज्वार, बाजरा, सावां, कोदो, काकुन, रागी, कुटकी, चेना, कुट्टू, चौलाई की फसलें पैदा की जाती है. इनमें प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम तथा आयरन आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं. आज के दौर में लोग मिलेट्स के महत्व को भूलते जा रहे हैं. सघन जागरुकता अभियान चलाकर इन तथ्यों से लोगों को अवगत कराया जाए.
मिश्र ने निर्देश दिया कि मिलेट्स से सम्बन्धित स्टार्टअप एवं एफपीओ की भागीदारी बढ़ाकर मिलेट्स के उत्पादों को जन जन तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. इसके अलावा मिलेट्स की पैदावार बढ़ाने के लिये जनपदवार कार्ययोजना तैयार की जाए। मिलेट्स की खेती में सिंचाई हेतु पानी की आवश्यकता कम होती है, इसलिये मिलेट्स की खेती हेतु खाली पड़े असिंचित क्षेत्र को भी चिन्हित किया जाए. मिलेट्स के सामान्य बीज एवं निःशुल्क बीज की मिनीकिट का किसानों को वितरण किया जाए. मिलेट्स की खेती एवं प्रोसेसिंग पर कार्य करने वाले प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों में किसानों तथा कर्मचारियों का एक्सपोजर विजिट कराया जाए.
मिश्र ने निर्देश दिया कि अध्यापकों के माध्यम से स्कूल में छात्र-छात्राओं को मिलेट्स के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए. विद्यालयों में क्विज, निबंध प्रतियोगितायें व प्रोजेक्ट वर्क आदि कराये जाएं. उन्होंने कहा कि मिलेट्स को लेकर लोगों के मन में कई सारी भ्रांतियां रहती है, इस पर अध्ययन कराकर लोगों की भ्रांतियां दूर की जाएं. इसके लिए, भ्रांति और वास्तविकता पर आधारित पोस्टर तैयार कराए जाएं. मिलेट्स के विभिन्न उत्पादों को तैयार करने की रेसिपी से लोगों को जागरूक किया जाए. स्वयं सहायता समूहों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जाए. इसके अतिरिक्त सभी संबद्ध सरकारी विभाग भी अपने स्तर से मिलेट्स को प्रमोट करने के लिये अभिनव प्रयास कर सकते हैं.
बैठक में प्रदेश के एफपीओ एवं स्टार्टअप संचालकों ने भी अपने-अपने सुझाव दिए. बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे.
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