फलों का राजा आम अभी से ही बाजार में दस्तक देने लगा है, लेकिन अभी उत्तर भारत में पैदा होने वाले दशहरी, लंगड़ा और चौसा आम को आने में 2 महीने से ज्यादा का समय है. लखनऊ के मलिहाबाद और काकोरी क्षेत्र में आम की फसल को तैयार करने से पहले किसानों को कई तरह के कीटों के संक्रमण का सामना करना पड़ता है. इनमें से कई कीट आम के लिए दुश्मन का काम करते हैं. अगर इनकी पहचान समय से नहीं की जाए तो यह फसल को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इन्हीं कीटों में हापर कीट का भी नाम शामिल है. आम के पेड़ों में बौर या फूल आने के बाद ये कीट सक्रिय हो जाता है. यह आम के बौर का विशेष कीड़ा है यह बौर का रस चूस कर कमजोर कर देता है.
अगर समय से पहचान कर इसका रोकथाम नहीं किया जाए तो यह आम की बौर को ही बर्बाद कर देता है जिससे पेड़ पर फल नहीं टिकते हैं. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के कीट रोग विशेषज्ञ डॉ. हरी शंकर सिंह बताते हैं कि इस कीट की पहचान बहुत ही आसान है. किसानों को प्रतिदिन अपने बागों का रोज निरीक्षण करना चाहिए और वह अपनी फसल पर लगने वाले कीटों को पहचान कर रसायनों के माध्यम से रोकथाम कर सकते हैं.
लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के कीट रोग विशेषज्ञ डॉ.हरिशंकर सिंह बताते हैं कि आम की फसल में जब फूल आने लगते हैं तो यह कीट सक्रिय हो जाता है. शुरुआत में यह कीट सर्दियों में सुप्त अवस्था में रहता है. लेकिन आम के पौधे में बहुत आने के बाद यह सक्रिय हो जाता है और अपने अंडे फूल के बीच ही देने लगता है. कुछ ही दिनों के भीतर इसकी संख्या कई गुना बढ़ जाती है. वहीं किसान बड़ी आसानी से इस कीट की पहचान कर सकते हैं. आम की फूल और पत्तियों पर हापर के संक्रमण के उपरांत हनी ड्यू निकलता है जो चिपचिपा पदार्थ होता है. इसको देखकर संक्रमण को पहचाना जा सकता है. अगर इस चीज को समय से पहचाना नहीं गया तो यह आम के बौर का रस चूस कर उसको बर्बाद कर देता है.
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केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के कीट रोग विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. हरिशंकर सिंह ने किसान तक को बताया कि आम पर कीट लिफ हापर भूरे रंग का होता है जो पत्तियों के नीचे नरम पौधे के ऊपर यह अपने अंडा देता है. 10 दिनों में अंडा से छोटी और हल्के पीले रंग की कीट निकलने लगते हैं. शुरुआत में छोटे,लंबे के आकार के दिखने वाली 1 से 3 मिली मीटर लंबे होते हैं जो तेजी से बढ़ते हैं और जल्दी से उड़ते हैं. लीफ हॉपर को प्राकृतिक तरीकों से भी रोका जा सकता है. इसके लिए लहसुन की अर्क का छिड़काव करके नियंत्रण पाया जा सकता है. लहसुन का अर्क बनाने के लिए किसान 100 ग्राम बारीक लहसुन को काटकर एक दिन के लिए इसे आधे लीटर खनिज तेल में भिगो दें. जिसके बाद इसमें 10 मिलीमीटर तरल साबुन मिलाएं और 10 लीटर पानी डालकर पतला करके छान लें. कंटेनर को लगातार हिलाएं. आम पर लगने वाले हापर के साथ-साथ फल मक्खी जैसे कीट से भी इसके माध्यम से बचाव होता है.
हापर कीट आम की फसल के लिए एक खतरनाक कीट है. वहीं आम के बौर पर स्प्रे करके इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के कीट रोग विशेषज्ञ डॉ. हरिशंकर सिंह ने बताया कि किसान इस पर नियंत्रण पाने के लिए मोनोक्रोटोफॉस का स्प्रे करते हैं जिसके बाद इस कीट के संक्रमण पर पूरी तरीके से नियंत्रण हो जाएगा.
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