उपकार ने किसानों के लिए जारी की सलाहउत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मौसम और खेती-किसानी से जुड़ी एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है. उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) के 'क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप' की हाल ही में हुई बैठक में वैज्ञानिकों ने आने वाले हफ्तों के लिए विशेष सलाह जारी की है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि आने वाले दिनों में प्रदेश का मौसम तो मुख्य रूप से शुष्क रहेगा, लेकिन कोहरे को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. अगर गेहूं, दलहन या तिलहन की खेती कर रहे हैं, तो अच्छी पैदावार के लिए आपको वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए. आइए जानते हैं विशेषज्ञों की बड़ी सलाहें.
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले एक हफ्ते तक उत्तर प्रदेश के सभी हिस्सों में मौसम के शुष्क रहने की संभावना है, यानी बारिश के आसार कम हैं. हालांकि, तापमान में थोड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों और बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों में दिन का तापमान सामान्य से 1-2 डिग्री तक ज्यादा रह सकता है. सबसे अहम चेतावनी 'कोहरे' को लेकर है. प्रदेश के उत्तरी तराई वाले इलाकों में 'घने कोहरे' की संभावना जताई गई है, जबकि बाकी हिस्सों में सुबह के समय हल्का से मध्यम कोहरा छाया रह सकता है. ऐसे में किसानों को अपनी फसलों की निगरानी बढ़ा देनी चाहिए, क्योंकि बदलता तापमान और कोहरा फसलों में कीट और रोगों को न्योता दे सकता है.
अगर आपने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अब देरी न करें. वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि देर से बुवाई के लिए 25 दिसंबर तक का समय उपयुक्त है. इस समय आपको सामान्य किस्मों की जगह देर से बुवाई वाली उन्नत किस्में जैसे—HD-3298, DBW-316, HI-1633 या PBW-757 का ही चयन करना चाहिए. चूंकि बुवाई में देरी हो चुकी है, इसलिए खेत में पौधों की संख्या सही रखने के लिए बीज की मात्रा सामान्य से 25% बढ़ा दें, यानी अब आपको 125 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए.
जो किसान बुवाई कर चुके हैं, वे बुवाई के 20-25 दिन बाद यानी ताजमूल अवस्था में पहली हल्की सिंचाई जरूर करें. अगर पत्तियों पर जिंक की कमी (पीलापन) दिखे तो 5 किलो जिंक सल्फेट और 16 किलो यूरिया को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
दलहनी फसलों जैसे चना, मटर और मसूर की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बहुत नाजुक है. अगर आप चने की बुवाई अब कर रहे हैं, तो GNG-2299 या 'अटल' जैसी किस्मों का ही चुनाव करें. जो फसलें पहले से खेतों में खड़ी हैं, उनमें खरपतवार को निकाई-गुड़ाई करके तुरंत बाहर निकाल दें. चने की फसल में इस समय 'कटुआ कीट' (Cutworm) का खतरा हो सकता है. इससे बचने का एक देसी उपाय यह है कि खेत में जगह-जगह सूखी घास के छोटे-छोटे ढेर रख दें. दिन में कीड़े इन ढेरों में छिप जाएंगे, जिन्हें सुबह इकट्ठा करके आप आसानी से नष्ट कर सकते हैं. अगर प्रकोप ज्यादा हो, तो क्लोरपाइरीफॉस (20% EC) दवा का छिड़काव करें.
तिलहनी फसलों में राई और सरसों की फसल अगर घनी है, तो उसे 'विरलीकरण' द्वारा ठीक करें. ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए ताकि पौधों को फैलने की जगह मिले. अगर सरसों में पत्ती पर सुरंगक कीट का हमला दिखे, तो डाईमेथोएट (30% EC) का छिड़काव करें. वहीं, रबी मक्का की खेती करने वाले किसान भाइयों को बुवाई के 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. साथ ही, फसल बोने के 20-25 दिन बाद खेत से खरपतवार निकालने के लिए निराई-गुड़ाई जरूर करें, ताकि खाद और पानी सीधा फसल को मिले.
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