बागवानी करने वाले किसानों के लिए फल उत्पादन में अब नई चुनौतियां भी सामने आ रही है. खासतौर से बारिश के दिनों में नए-नए कीट फलों को नुकसान पहुंचाते हैं जिसकी वजह से किसानों का मुनाफा प्रभावित होता है. फल का उत्पादन करने वाले किसानों कि इस समस्या का समाधान केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने ढूंढ लिया है. संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ के.के श्रीवास्तव ने फल बैगिंग के माध्यम से फल मक्खी और कीटों की समस्या का समाधान मिल गया है. इस तकनीक के माध्यम से फलों तक कि नहीं पहुंच पाते हैं. इसके साथ ही फलों का आकार भी सामान्य से ज्यादा बड़ा होता है जिसकी वजह से किसानों को बाजार में उनकी उपज का अच्छा दाम भी मिलता है.
फल उत्पादक किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. फलों के लिए कई तरह के कीट भी चुनौती बन चुके हैं जिनमें फल मक्खी भी शामिल है. बारिश के दिनों में अमरूद की फसल कीटों की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. वही अब इस चुनौती का हल केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ के के श्रीवास्तव ने ढूंढ निकाला है. उन्होंने फल बैगिंग तकनीक का सहारा लेते हुए फल मक्खी और दूसरे तरह के कीटो से फलों को छुटकारा दिलाया है. उन्होंने बताया कि फलों के ऊपर बैगिंग करने से फलों में लगने वाले कीट नहीं पहुंच पाते हैं. वहीं इससे फलों का आकार भी काफी ज्यादा बड़ा होता है जिसके चलते किसानों को बाजार में फलों का दाम ज्यादा मिलता है इससे उनका मुनाफा बढ़ जाता है. बारिश के मौसम में अमरूद के उत्पादकों को अब तक कीटों की वजह से अच्छा दाम नहीं मिल पाता था लेकिन जो किसान इस तकनीक का सहारा ले रहे हैं उन्हें अब चार गुने तक मुनाफा हो रहा है.
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आम की फसल के लिए फल बैगिंग तकनीक काफी ज्यादा उपयोगी है. लखनऊ के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के परिसर में आम के 785 तरह के जर्म प्लाज्म मौजूद हैं. यहां के वैज्ञानिकों ने फल मक्खी और कीटों से बचाव के लिए फल बैगिंग का सहारा लिया है जिसका परिणाम स्वरूप फलों के आकार में भी वृद्धि देखी गई है. वही इससे किसानों को भी बाजार में उपज का अच्छा दाम मिलने लगा है. कम खर्च में बिना केमिकल का सहारा लिए किसान इस तकनीक का उपयोग करके ऑर्गेनिक तरीके से फलों को बचा सकते हैं.
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