हमारे देश में इन दिनों मौसम का मिजाज अपने शबाब पर है. रातें इतनी सर्द इतनी हैं कि रजाई से बाहर नहीं निकला जा रहा है. कोट-मफलर तो छोड़िए दस्ताने और जुराबें भी नहीं उतारी जा रही हैं. इस कड़ाके की ठंड का असर इंसानों के साथ पशुओं और फसलों पर भी देखने को मिल रहा है. गिरते तापमान और घने कोहरे की दस्तक जहां घूमने लायक मौसम बना रहा है तो वहीं किसानों की फसलों के लिए पाले का संकट बन गया है. फसलों पर पाला लगने से उनकी ग्रोथ को झटका लगता है जिससे ना सिर्फ उनकी पत्तियां झुलस रही हैं बल्कि किसानों को पैदावार का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. आज आपको 4 ऐसी फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर पाले का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है.
पाला पड़ने पड़ने के कारण फसलों को बचाना किसानों के लिए एक बड़ी चनौती रहती है.सबसे पहले ये समझा देते हैं कि पाला लगने के नुकसान क्या हैं? पाला पड़ने से पौधों की कोशिकाओं में मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है, इससे कोशिकाएं फट सकती हैं और पौधे मर जाते हैं. इसके अलावा पौधों की पत्तियां पीली पड़ सकती हैं और उनकी बढ़वार भी रुक सकती है. फसलों पर पाला लगने से आप ये मान सकते हैं कि वो फसल चौपट है, उससे पैदावार की उम्मीद करना बेकार है.
फसलों पर पाला लगने का नुकसान आप अच्छी तरह से जान चुके हैं. अब ये भी जान लेते हैं कि कौन सी फसल में सबसे अधिक पाला लगने की आशंका रहती है. आपको बता दें कि पाला किसी भी फसल में लग सकता है लेकिन कुछ ऐसी फसलें हैं जो बहुत कम तापमान में आसानी से पाले का शिकार हो जाती हैं. इन फसलों में रबी सीजन की खास फसलों में शामिल सरसों और आलू का नाम पहले ही आता है.
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इन फसलों में पाला पड़ने से पत्तियों पर असर दिखने लगता है जिससे इनकी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. आलू और सरसों के अलावा मटर और अरहर जैसी दलहन फसलों पर भी तेजी से पाला मारता है. इनके अलावा रबी की अन्य फसलें कुछ हद तक कोहरा और कम तापमान को बर्दाश्त कर सकती हैं.
पाला एक प्राकृतिक घटना है जिससे किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन फसलों को पाले से बचाने का प्रयास जरूर किया जा सकता है जो काफी हद तक सफल भी होता है. मौसम का मिजाज जब इस बात का संकेत दे कि अब फसलों को नुकसान हो सकता है तो आप खेतों की सिंचाई कर दीजिए. आपको बता दें कि गीली मिट्टी, सूखी मिट्टी की तुलना में आसानी से पाले से लड़ सकती है. इसका कारण ये है कि सूखी मिट्टी में एकाएक पाले का झटका लगता है जबकि गीली मिट्टी गिरते तापमान का संतुलन अधिक आसानी से बना सकती है. लेकिन ध्यान रहे हल्की सिंचाई करनी है जलभराव नहीं करना है. सिंचाई के अलावा अगर पौधे छोटे हैं तो पुआल से ढकने का प्रयास करें. शाम के वक्त खेत की मेड़ों में धुआं कर दें इससे भी तापमान को बढ़ाया जा सकता है. इन सब के अलावा एक्सपर्ट्स की सलाह पर केमिकल का छिड़काव करें.
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