मौजूदा समय में आयुर्वेदिक और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स की बहुत अधिक मांग है. कोरोना काल के बाद से लोग इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर कई प्रकार की चीजों को खाने-पीने लगे हैं. इसमें एक नाम एलोवेरा का भी है. दरअसल एलोवेरा का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और आयुर्वेदिक दवा के तौर पर अधिक किया जाता है. यही वजह है कि बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है. यह एक अंग्रेजी नाम है, हिंदी में इसे घृतकुमारी और ग्वारपाठा के नाम से जाना जाता है.
वहीं आज कल लोग अपने घरों में ही एलोवेरा के पौधे लगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर में लगा हुआ एलोवेरा जहरीला है या नहीं क्योंकि अगर आप जहरीले एलोवेरा का खाते या उसका उपयोग करते हैं तो आपकी मौत भी हो सकती है. इसके लिए आपको इसे पहचानने की जरूरत है. आइए जानते हैं जहरीले एलोवेरा की कैसे करें पहचान.
वैसे तो एलोवेरा की 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं आज कल घरों में लोग कई प्रकार के एलोवेरा को लगाते हैं. ऐसे में लोग ये नहीं पहचान पाते हैं कि उनका एलोवेरा जहरीला तो नहीं है क्योंकि अमूमन यूज करने वाले एलोवेरा जहरीले नहीं होते हैं और काफी फायदेमंद भी होते हैं. वहीं हमेशा यूज करने वाले एलोवेरा की पहचान वो होती है कि इसकी पत्तियां नुकीली होती हैं. इसके अलावा पत्ती के किनारे पर छोटे-छोटे कांटे निकले हुए होते हैं. वहीं इसकी बाहरी पत्तियां थोड़ी घुमावदार होती हैं. अगर आपके घर में लगे हुए एलोवेरा में अगर ये सभी पहचान न हो तो समझ लें कि वो एलोवेरा जहरीला है.
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अगर आप आयुर्वेद के तौर पर या इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए एलोवेरा खाते हैं तो आप इसकी बारबैंडेंसिस प्रजाति का ही सेवन करें. इस प्रजाति के सेवन से कई सारे फायदे हैं. इसे खाने से चेहरे की निखार बढ़ने के साथ ही बालों के लिए भी फायदेमंद होता है. इसलिए अपने घरों में आपको बारबैंडेंसिस प्रजाति के ही पौधे लगाएं.
अच्छी पैदावार के लिए एलोवेरा के पौधे जुलाई-अगस्त में लगाना उचित माना जाता है. एलोवेरा को आप सर्दियों के महीनों को छोड़कर पूरे साल लगा सकते हैं. वहीं इसके पौधों को खरीदते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि पौधे बिल्कुल स्वस्थ हों. खरीदा गया पौधा 4 महीना पुराना होना चाहिए, जिसमें 4 से 5 पत्तियां लगी होनी चाहिए. वहीं पौधों को दूरी पर लगाने से पत्तियों के तैयार होने पर उनकी तुड़ाई करने में आसानी होती है.
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