सर्दी का मौसम आते ही बाजारों में हरी सब्जियां मिलनी शुरू हो जाती हैं. वहीं सर्दी के दिनों में ही चौलाई, पालक, मेथी, बथुआ और सरसों के साग मिलते हैं. वैसे तो हर सब्जी का अपना एक अलग स्वाद होता है, लेकिन साग की बात ही अलग होती है. वहीं बथुआ के साग का बढ़िया स्वाद होता है. बथुआ एक ऐसा साग है जिसके गुणों से ज्यादातर लोग अपरिचित हैं. ये छोटा सा दिखने वाला हरा भरा पौधा काफी फायदेमंद होता है. सर्दियों में इसे खाने से कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है.
वहीं बथुए में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है. बथुआ न सिर्फ पाचन शक्ति को बढ़ाता है बल्कि अन्य बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि बथुआ की अधिक पैदावार के लिए किन खादों का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही ये भी जान लें कि इसके कटाई का सही समय क्या होता है.
वैसे तो बथुआ की खेती हो चुकी है और वो थोड़े दिनों में तैयार भी हो जाएगी. कई जगह तैयार भी हो गई है और इसकी बिक्री चालू है. लेकिन अगर आप बथुआ की खेती करते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि खेत को तैयार करते समय 20 से 25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट को मिट्टी में मिला दें. वहीं बुवाई से पहले 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय पूरे खेत में छिड़क दें. इसके बाद उसे मिट्टी में अच्छे से मिला दें. ऐसा करने से आपको बथुए की बेहतर पैदावार मिलेगी जिससे किसानों को फायदा होगा.
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अगर आपने बथुआ की खेती की है तो उसकी पहली कटाई बुवाई के तीन या चार सप्ताह के बाद करनी शुरू कर दें. उसके बाद बथुआ की कटाई 15 से 20 दिनों के अंतराल पर करें. वहीं कटाई करते समय इस बात का ध्यान दें कि बथुआ के 5 से 6 सेंटीमीटर के ऊपर वाले भाग की ही कटाई करें.
बथुआ की खेती रबी सीजन में की जाती है. वहीं इसकी सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि इसमें पाला सहन करने की शक्ति होती है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में बथुआ की खेती अप्रैल महीने में की जाती है. इसके अलावा बथुआ की खेती किसी भी मिट्टी में आसानी से की जा सकती है.
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