
भालू बनकर घूम रहे किसानउत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में बंदरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे किसानों के फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. किसानों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया. बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया कि किसानों को दिन-रात अपनी फसलों की रखवाली करनी पड़ रही थी. इसी परेशानी को देखते हुए गांव के कुछ युवा किसानों ने मिलकर अनोखा एक तरीका इजाद किया- वो था भालू की पोशाक पहनकर बंदरों को भगाने का.
दरअसल, अब कुछ युवा किसान बंदरों से फसल को बचाने के लिए अपने खेतों में भालू की पोशाक पहनकर घूम रहे हैं, जिसके बाद भालू को देखते ही बंदरों में खौफ फैल जाता है और वह उस खेत को छोड़कर चले जाते हैं. गांव के खेतों में गन्ने समेत कई अन्य फसलों को बर्बाद करने के कारण किसान महीनों से परेशान थे. शहर से पकड़े गए बंदरों को अक्सर गांवों के पास छोड़ दिया जाता है, जिसके बाद बड़ी संख्या में बंदर खेतों और आसपास के पेड़ों पर डेरा जमा लेते हैं. बंदरों का यही झुंड किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे थे.

गंगा किनारे बसे कुछ गांवों के किसानों ने आपसी सहयोग से पैसा इकट्ठा कर भालू जैसी दिखने वाली पोशाक खरीदी, जिसके बाद प्रतिदिन एक युवक इस पोशाक को पहनकर खेतों के आसपास गश्त करता है. जैसे ही बंदरों की नजर भालू की पोशाक पहने युवक पर पड़ती है, वे तुरंत डरकर पेड़ों से कूदकर दूर भाग जाते हैं. कई बार तो बंदर भालू जैसी आकृति को देखते ही खेतों की ओर वापस मुड़ने की कोशिश भी नहीं करते.
किसान मनीष और राकेश बताते हैं कि यह तरीका अब तक का सबसे प्रभावी उपाय साबित हुआ है. किसानों ने बताया कि पेड़ों पर बैठे बंदर भी पोशाक देखते ही भाग जाते हैं. पहले बंदर झुंड बनाकर खेतों में उतर आते थे और फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते थे, लेकिन अब यह खतरा काफी कम हो गया है.
किसानों के अनुसार, भालू की पोशाक ने न केवल बंदरों को खेतों से दूर रखा है बल्कि फसलों को होने वाले आर्थिक नुकसान में भी काफी कमी आई है. वे मानते हैं कि जब प्रशासन की ओर से कोई समाधान नहीं मिला, तब यह तरीका उनके लिए राहत बनकर सामने आया है. (संजीव शर्मा की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today