चना रबी सीजन में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. चने की खेती देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. चने का उत्पादन उत्तर भारत मे बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है. वहीं, चना ऐसी फसल है जिसकी हर एक चीज इस्तेमाल में ली जा सकती है. चाहे चने की दाल हो या फिर पत्तियां या पौधे. साथ ही चना सब्जी बनाने के काम भी आता है, जबकि पौधे का बाकी बचा हिस्सा पशुओं के चारे के तौर पर उपयोग किया जाता है.
लेकिन चने की खेती में सबसे जरूरी चीज ये है कि फसलों में खरपतवार लग जाते हैं, जो फसलों के लिए नुकसानदायक होते हैं. उन्हें नष्ट करने के लिए कई मजदूरों का खर्च लगता है. ऐसे में ये खर्च एक अकेली दवा का छिड़काव करके बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है दवा और कैसे करें इसका छिड़काव.
चने की फसल में कई प्रकार के खरपतवार लग जाते हैं. इसमें बथुआ, खरतुआ, मोरवा, मोथा और दूब शामिल हैं. ये खरपतवार पौधे के साथ-साथ पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं. इससे उपज पर काफी प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा खरपतवार से फसलों में कई प्रकार के कीट और रोग लगने के भी खतरे बढ़ जाते हैं. इससे फसलों को अधिक नुकसान होता है और किसानों को कम उत्पादन मिलता है. इससे किसानों के आय पर भी असर पड़ता है.
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खरपतवारों से होने वाले नुकसान से चने की फसल को बचाने के लिए समय पर इसका नियंत्रण करना बेहद जरूरी होता है. साथ ही फसल की दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. पहली गुड़ाई फसल बुवाई के 30 से 35 दिनों के भीतर करनी चाहिए. इसके अलावा दूसरी निराई-गुड़ाई 50 से 55 दिनों में करनी चाहिए. साथ ही अगर मजदूरों की उपलब्धता न हो तो फसल बुवाई के तुरंत बाद पैंडीमैथलीन दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. चने के लिए यह दवा क्रांतिकारी मानी जाती है क्योंकि यह सभी खरपतवारों को नष्ट कर देती है. इससे मजदूरों का खर्च बच सकता है जो खरपतवार की सफाई के लिए लगाए जाते हैं.
चने की फसल में लगने वाले खरपतवारों से बचाव के लिए पैंडीमैथलीन एक अकेली दवा काफी कारगर है. इस दवा के छिड़काव के लिए ढाई लीटर पैंडीमैथलीन में 500 लीटर पानी मिलाकर घोल बना लें. इसके बाद अपने चने के खेत में दवा छिड़कने वाली मशीन की सहायता से इसका छिड़काव करें. इस तरह छिड़काव करने से आपके चने के खेत से खरपतवार नष्ट हो जाएगा.
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