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सेब के लिए बेहद खास है यह महीना, क्या करें-क्या नहीं, पढ़ें एक्सपर्ट टिप्स

सेब के लिए बेहद खास है यह महीना, क्या करें-क्या नहीं, पढ़ें एक्सपर्ट टिप्स

अप्रैल के महीने में सेब के फलों में कुछ रोग और कीट लगने के भी खतरे बढ़ जाते हैं. वहीं बढ़ते तापमान से पेड़ के तने को गर्मी से बचाने के लिए तनों में घास बांध देना चाहिए. इस मौसम में पेड़ के अलग-बगल में कई प्रकार के पौधे और घास निकलने लगते हैं जिन्हें निकालना जरूरी होता है.

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सेब की खेती सेब की खेती

अब सेब का सीजन आने वाला है. अभी पेड़ पर फूल आ रहे हैं. सेब का सीजन आते ही बाजारों में इसकी आवक तेज हो जाती है. चूंकि यह सेहत के लिए अच्छा है, इसलिए लोग खरीदारी भी खूब करते हैं. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि सेब जितना सेहतमंद होगा, उसे खाने में भी उतना ही फायदा होगा. किसानों के लिए यहां एक गौर करने वाली बात है. दरअसल सेब के किसानों के लिए अप्रैल का महीना बेहद खास होता है. इस महीने में सेब के फूल का सबसे अधिक ध्यान देना होता है. इस महीने में किसानों को सेब के बेहतर उत्पादन के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इन सभी बातों की जानकारी लेंगे. इसके लिए पढ़िए ये एक्सपर्ट टिप्स.

इस महीने में क्या करना चाहिए

अप्रैल के महीने में सेब के फलों में कुछ रोग और कीट लगने के भी खतरे बढ़ जाते हैं. वहीं बढ़ते तापमान से पेड़ के तने को गर्मी से बचाने के लिए तनों में घास बांध देना चाहिए. इसके अलावा इस मौसम में पेड़ के अलग-बगल में कई प्रकार के पौधे और घास निकलने लगते हैं जो पेड़ के पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं. ऐसे में उन पौधों और खरपतवार को हटा देना चाहिए. साथ ही इस महीने में फलों का गिरना भी काफी गंभीर समस्या है. इसे रोकने के लिए नेप्थलीन एसिटिक अल्म का छिड़काव करना चाहिए. इस घोल का छिड़काव हर तीन से चार सप्ताह पर करते रहना चाहिए.

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इस महीने क्या नहीं करें 

इस महीने में सेब के पेड़ में फूल आने के बाद फल आने शुरू हो जाते हैं. वहीं फूल आने के दौरान बाग में मधुमक्खियों के 4 से 5 छत्ते प्रति हेक्टेयर की दर से रखें. इस दौरान कोई भी कीटनाशक का प्रयोग न करें. अगर आप कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो फलों की क्वालिटी खराब हो जाती है और फल गिरने लगते हैं. साथ ही फूल आने के दौरान बाग में सिंचाई न करें.

फलों में रोग लगने पर क्या करें

अगर सेब के पेड़ में चूर्णिल फफूंद का प्रकोप हो तब केराथेन 300 ग्राम और चूना प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. चूने के उपयोग से रोगों और कीट दोनों को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा अगर पौधों में जिंक की कमी हो तो 1 किलो प्रति 100 लीटर पानी में जिंक सल्फेट का घोल बनाकर छिड़काव करें. इससे पौधों में फल बेहतर आएंगे और उत्पादन भी बेहतर होगा.