देश के कई हिस्सों में गर्मी का तापमान 30 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है. चुरू, राजस्थान में तो तापमान 40 डिग्री को भी छू चुका है. गर्मी के चलते जहां अभी से लोगों का बुरा हाल है, तो वहीं ये झींगा पालकों के लिए भी खतरे की घंटी है. क्योंकि झींगा एक्सपर्ट की मानें तो 32 डिग्री सेल्सियस और उससे ऊपर का तापमान झींगा के लिए जानलेवा साबित होने लगता है. यही वजह है कि चुरू जहां तापमान 50 डिग्री पर भी पहुंच जाता है वहां झींगा पालक खासे परेशान हैं.
एक्सपर्ट की मानें तो 40 डिग्री तापमान में मछलियों के तालाब का पानी उबलने जैसा हो जाता है. पानी तेज गर्म होने की वजह से उसमे ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है. जिसकी वजह से झींगा ही नहीं दूसरी मछलियां भी तेज गर्मी के चलते तालाब में दम तोड़ने लगती हैं.
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झींगा एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि भारत में ज्यादातर विदेशी झींगा का पालन किया जाता है. इस झींगा को 26 से 31 डिग्री तापमान वाले पानी की जरूरत होती है. लेकिन अभी चुरू में तेज गर्मी के साथ ही गर्म हवा भी चल रही है. 40 डिग्री तक तापमान पहुंच गया है. यह झींगा के लिए बहुत ही खतरनाक है. असल में होता ये है कि तालाब में फाइटो क्लाइंजम (अल्गी) लगी होती है. पानी के अंदर इसी से झींगा को मुख्य रूप से ऑक्सीजन मिलती है. लेकिन तेज गर्मी और गर्म पानी के चलते यह मुरझा जाती है.
डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि बिजली बहुत महंगी है तो मछली पालक पंखे और इरेटर बहुत कम चलाते हैं. लेकिन चुरू के मौजूदा मौसम को देखते हुए तालाब के पानी को ठंडा रखने के लिए खासतौर पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक पंखे और इरेटर चलाएं. गर्मियों में सूखा खाने को न दें. एक लीटर मीठे फ्रेश पानी में 100 ग्राम गुड़ घोलकर, दो से तीन ग्राम विटामिन सी घोलकर दें.
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ग्लूकोज पाउडर भी खोलकर पिलाया जा सकता है. झींगा को दी जाने वाली दोपहर की खुराक एकदम कम कर दें. 10 फीसद से ज्यादा खाने को न दें. सुबह-शाम और रात 30-30 फीसद तक खाने को दें. तालाब के पानी की हाईट बढ़ा दें. अगर तालाब में 3.5 फुट पानी है तो उसे पांच से 5.5 फुट कर दें. क्योंकि ऊपर का पानी गर्म भी हो जाएगा तो 3.5 फुट पानी की सतह सामान्य बनी रहेगी.
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