लीची के लिए खतरनाक हैं ये 3 कीट, बचाव के लिए आज ही करें ये उपाय

लीची के लिए खतरनाक हैं ये 3 कीट, बचाव के लिए आज ही करें ये उपाय

मौसम में हो लगातार हो रहे बदलाव से लीची की फसल में कई तरह के कीट और रोग देखने को मिल रहे हैं. इसमें स्टिंक बग, दहिया कीट और लीची माइट का खतरा बढ़ गया है. इन कीटों के लगने से किसानों को नुकसान भी हो रहा है. इसी नुकसान को देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने लीची किसानों के लिए एडवाइजरी जारी किया है.

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लीची के लिए खतरनाक हैं ये 3 कीट, बचाव के लिए आज ही करें ये उपायलीची के लिए खतरनाक है ये तीन कीट

गर्मी का दिन आते ही मार्केट में मीठी और स्वादिष्ट लीची मिलने लगती है. अभी मार्केट में फल नहीं आ रहे हैं, लेकिन बिक्री जल्द शुरू हो जाएगी. अभी इसमें कुछ दिन का वक्त लगेगा. लेकिन लीची के पेड़ों में फल लगने लगे हैं. ऐसे समय में इन पेड़ों की विशेष देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि अगर मंजर सही नहीं होगा तो पेड़ में फल सही से नहीं आएगा. इसकी कई वजहें होती हैं. इसमें एक वजह लीची के पेड़ों में कीट और रोग का प्रकोप भी है. इसलिए लीची की बागवानी करने वाले किसानों को इस मौसम में लीची के फलों को गिरने से रोकने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए.

लीची पर इन तीन कीटों का खतरा

मौसम में हो लगातार हो रहे बदलाव से लीची की फसल में कई तरह के कीट और रोग देखने को मिल रहे हैं. इसमें स्टिंक बग, दहिया कीट और लीची माइट का खतरा बढ़ गया है. इन कीटों के लगने से किसानों को नुकसान भी हो रहा है. इसी नुकसान को देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने लीची किसानों के लिए एडवाइजरी जारी किया है जिसमें बताया गया है कि इन रोगों के क्या हैं लक्षण और कैसे करें इससे बचाव.

स्टिंक बग के लक्षण और बचाव 

स्टिंक बग लीची के नए पत्तों, मंजर, फूलों और विकसित होते फलों का रस चूसता है. अत्यधिक रस चूसने के कारण बढ़ती कलियां और कोमल अंकुर सूख जाते हैं, जिससे फूल और फल गिरने लगते हैं.  प्रभावित फल काले पड़ जाते हैं और उनकी क्वालिटी खराब हो जाती है. साथ ही टहनी का शीर्ष भाग सूखने लगता है. बता दें कि ये कीट लीची की फसल को 80 फीसदी तक नुकसान पहुंचा सकता है.

  • सुबह के समय पेड़ की शाखाओं को हल्के झटकों से हिलाएं ताकि कीट नीचे गिर जाएं.
  • गिरे हुए कीटों को इकट्ठा करके मिट्टी में दबा दें या नष्ट कर दें.
  • इसके अलावा थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली + फिप्रोनिल 5% एससी 1.5 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

दहिया कीट के लक्षण और बचाव 

लीची में अभी दहिया कीट का खतरा मंडरा रहा है. इस कीट के शिशु और मादा कीट लीची के पौधों की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं. इसके कीट पत्तियों के निचले भाग पर रहकर रस चूसते हैं. इसके कारण पत्तियां भूरे रंग के मखमल की तरह हो जाती हैं. अंत में सूख कर और सिकुड़कर गिर जाती हैं.

  • बाग के मिट्टी की निराई-गुड़ाई करने से कीट के अंडे नष्ट होते हैं.
  • तने के नीचे वाले भाग में 30 सेमी चौड़ी अल्काथीन या प्लास्टिक की पट्टी लपेट देने और उस पर कोई चिकना पदार्थ ग्रीस आदि लगाने से कीट पेड़ पर नहीं चढ़ते हैं.
  • जड़ से 3 से 4 फीट ऊपर के भाग को चूना से पुताई करें.
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल का 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी या थाथोमेथाक्साम 25% WG का दहिया कीट 1 ग्राम/ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

लीची माईट के लक्षण और बचाव 

लीची के पेड़ों में अभी लीची माईट कीट का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस कीट के लक्षण की बात करें तो ये कीट पत्तियों के निचले भाग से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां भूरे रंग के की होकर सिकुड़ जाती है और धीरे-धीरे  करके गिर जाती है. जिससे किसानों का नुकसान होता है.

  • इस कीट से ग्रस्त पत्तियों और टहनियों का काटकर जला देना चाहिए.
  • सल्फर 80% घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम या डाइकोफॉल 18.5% ई.सी का 3 मिली या इथियॉन 50% ई.सी का 2 मिली का या प्रोपरजाईट 57% ई.सी का 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
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