केले के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए जान लें उपाय

केले के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए जान लें उपाय

इस महीने में केले के फल में पीला सिगाटोका रोग, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जा रहा है. यह फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. ऐसे में किसानों की मदद के लिए बिहार कृषि विभाग ने उपाय बताए हैं. आइए जानते हैं.

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केले के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए जान लें उपायकेले में लगने वाले रोग

केले की खेती किसानों के लिए बेहतर मुनाफे का सौदा है, लेकिन दिसंबर के महीने में केले के पौधों और फलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. दिसंबर के महीने में केले के फल में सिगाटोका रोग और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जा रहा है. जो फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इन रोगों के लगने से किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. इन्हीं समस्याओं के निजात के लिए बिहार कृषि विभाग ने केले में लगने वाले रोग से बचाव के उपाय बताए हैं. इस उपाय को अपनाकर बिहार के किसान अपने केले की फसल को बचा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?

इन रोगों के लक्षण और बचाव

पीला सिगाटोका के लक्षण-  इस रोग के कारण केले के नए पत्ते के ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाईन के रूप में दिखाई देता है. बाद में ये धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिनका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है. इस रोग के लगने से फलों के उत्पादन पर असर पड़ता है.

पीला सिगाटोका से बचाव- पीला सिगाटोका रोग से बचाव के लिए किसान इस रोग से प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. साथ ही खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडे को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला दें. ऐसा करने से इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है.

काला सिगाटोका के लक्षण- इस रोग के कारण केले की पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा और धारीदार लाईन बन जाती है. ये अधिक तापमान होने के कारण फैलते हैं और इनके प्रभाव से केले परिपक्व होने से पहले ही पक जाते हैं, जिसके कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है.

काला सिगाटोका से बचाव- किसानों को काला सिगाटोका रोग से बचाव के लिए रासायनिक फफूंदनाशक कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. इस दवा के छिड़काव से फल जल्दी नहीं पकता है, जिससे किसानों का नुकसान होने से बच जाता है.

पनामा विल्ट के लक्षण- इस रोग के लगने पर अचानक पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना शुरू हो जाता है. इस रोग के लगने पर पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती हैं, जो बाद में मुरझा कर सूख जाती हैं. उसके बाद तने सड़ जाते हैं और अंदर से सड़ी मछली की दुर्गंध आती है.  

पनामा विल्ट से बचाव-  किसानों को पनामा रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. केले की पत्तियां चिकनी होती हैं, ऐसे में घोल में स्टीकर मिला देना लाभदायक होता है.

किसान यहां कर सकते हैं संपर्क

अगर केले में इन तीनों में से किसी भी रोग का लक्षण दिख रहा है और उपाय समझ में नहीं आ रहा है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर या अपने जिले के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से संपर्क कर सकते हैं.

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