इस तरीके से करें बरसीम की बुवाई, पशुओं के लिए कभी नहीं होगी चारे की किल्लत

इस तरीके से करें बरसीम की बुवाई, पशुओं के लिए कभी नहीं होगी चारे की किल्लत

बरसीम रबी सीजन में बोई जाने वाली एक प्रमुख चारा फसल है. बरसीम को चारा फसल का राजा कहा जाता है. बरसीम की बुआई सितंबर के मध्य से लेकर अक्टूबर तक की जाती है.

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इस तरीके से करें बरसीम की बुवाई, पशुओं के लिए कभी नहीं होगी चारे की किल्लतबरसीम की बुवाई

पशुपालक पशुओं की लगभग सभी जरूरतें पूरी कर लेते हैं, लेकिन उनके सामने हरे चारे की समस्या हमेशा बनी रहती है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी फसल की जानकारी देंगे, जिससे महीनों तक चारे का झंझट खत्म हो जाएगा. इस चारा फसल का नाम बरसीम है. बरसीम रबी सीजन में बोई जाने वाली एक प्रमुख चारा फसल है. बरसीम को चारा फसल का राजा कहा जाता है. बरसीम की बुआई सितंबर के मध्य से लेकर अक्टूबर तक की जाती है. वहीं, इसकी खेती के लिए कुछ खास विधि और कुछ बातों का ध्यान रखकर आप महीनों तक के लिए हरे चारे के झंझट से मुक्ति पा सकते है.

बरसीम चारे की खासियत  

बरसीम दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक और रसीला चारा होता है. इसके पौधे में शुष्क पदार्थ की पाचनशीलता 70 फीसदी और 21 फीसदी तक प्रोटीन होती है. यही वजह है कि इसे खिलाना पशु के स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर माना जाता है. साथ ही इससे गाय और भैंस के दूध में बढ़ोतरी होती है. इस वजह से बरसीम चारे की मांग मार्केट में बनी रहती है. ऐसे में किसान इसे उगाकर अपने पशुओं को खिलाने के अलावा इसे बेचकर मुनाफा भी कमा सकते हैं. बता दें कि दुधारू पशु इस चारे को बड़े ही चाव के साथ खाते हैं.

किसान इस विधि से करें खेती

सूखी विधि- इस विधि में सीड ड्रिल की मदद से बरसीम के बीजों को बोया जाता है, बाद में पाटा की मदद से उन पर मिट्टी डालने के बाद फसल की सिंचाई की जाती है.

गीली विधि- वहीं, गीली विधि का उपयोग सिंचाई वाले इलाकों में किया जाता है. इसमें चार मीटर चौड़ाई और 50 से 60 मीटर लंबाई की सुविधा के हिसाब से क्‍यारी तैयारी करें. उसके बाद रातभर भिगोकर रखे गए बीजों को बीज उपचार के बाद हाथ से इन क्यारियों में छिड़क दें.  

मिट्टी को लेकर रखें ये ध्यान

बरसीम की खेती के लिए क्षारीय, बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. ऐसे में ध्‍यान रखें कि मिट्टी का P.H. मान 7 से 8 के बीच हो. इसकी खेती ठंड और मध्यम ठंडी जलवायु में ठीक तरह से होती है. बरसीम की बुआई के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. वहीं, खेत की एक जुताई डिस्क हल से और 2 से 3 जुताई डिस्क हैरो से करनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल करें, ताकि पानी न भरे.

खेती में बीज दर का भी रखें ध्यान

एक हेक्टेयर भूमि में बरसीम की बुआई के लिए 25 से 35 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. इसके बीज की मात्रा बीज के आकार के चलते कम या ज्यादा हो सकती है. बता दें कि बरसीम की देसी वैरायटी के बीज छोटे होते है, जिसकी बीज दर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. वहीं चतुर्गुणित वैरायटी के बीज आकार में बड़े होते है, जिसके चलते इनकी बीज दर 30-35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है.

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