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नीलगाय भगाने की ये है जादुई दवा, वैज्ञानिक ने बताई नीम की पत्ती और गोमूत्र से तैयार करने की विधि

नीलगाय भगाने की ये है जादुई दवा, वैज्ञानिक ने बताई नीम की पत्ती और गोमूत्र से तैयार करने की विधि

वैज्ञानिकों का कहना है कि जितनी पुरानी दवा होगी, वह उतनी ही असरदार होगी. ऐसे में किसान दलहन, गेहूं, गन्ना और मक्का सहित सभी तरह की फसलों के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो सब्जियों के ऊपर भी इसका स्प्रे कर सकते हैं.

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नीलगाय से फसल को कैसे बचाएं. (सांकेतिक फोटो) नीलगाय से फसल को कैसे बचाएं. (सांकेतिक फोटो)

भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान धान- गेहूं जैसी पारंपरिक फसल के साथ-साथ दलहन, तिलहन और बागवानी की भी बड़े स्तर पर खेती करते हैं. इससे किसानों की अच्छी इनकम हो जाती है. लेकिन कई बार आवारा मवेशी और नीलगाय फसलों को नष्ट कर देते हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को अवारा मवेशी और नीलगाय से परेशान होने की जरूरत नहीं है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है, जिसकी मदद से फसल को आवारा मवेशी और नीलगाय से बचाया जा सकता है. 

इस तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा. खास बात यह है कि किसान घर में ही वे सारे सामान मौजूद हैं, जिससे वे फसल की रक्षा आवारा जानवारों और नीलगाय से कर सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र कोटवां के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ड़ॉ. आरपी सिंह का कहना है कि हर साल आवारा मवेशी 5 फीसदी तक फसल को बर्बाद करते हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान होता है. लेकिन किसान मवेशियों को खेत से भगाने के लिए देसी तरीके से जैविक दवा बना सकते हैं. इसमें कोई खर्च भी नहीं आता है.

इस तरह बनाएं दवा

इसके लिए किसानों को पांच लीटर गोमूत्र, एक किलो नीलगाय का गोबर, ढाई किलो बकाईन की पत्ती, ढाई किलो नीम की पत्ती, एक किलो धतूरा, एक किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम पत्ता सुर्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज और 250 ग्राम लहसुन को आपस में मिला दें. इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डालकर 25 दिनों के लिए प्रिजर्व कर दें. खास बात यह है कि प्रिजर्व करने के लिए मिट्टी के पात्र का मुंह अच्छी तरह से बंद कर दें, ताकि इसमें हवा प्रवेश नहीं कर पाए. साथ ही उस पात्र का 1.3 हिस्सा खाली रहना चाहिए. क्योंकि फ्रेगमेंटेशन के बाद कार्बनिक गैस बनने से बर्तन फट भी सकता है.

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25 दिन में तैयार हो जाएगी 

वहीं, 25 दिन के बाद आप मिट्टी का मुंह खोल दें और मिश्रण का दूसरे बर्तन में निकाल दें. 25 दिन सड़ने के बाद यह मिश्रण गंधयुक्त एक जैवी दवा बन जाएगी. इसके बाद आप 50 फीसदी दवा को 100 लीटर पानी में मिला दें. फिर आप 250 ग्राम सर्फ मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करें. इसके गंध से कोई भी जानवर आपके खेत के नजदीक भी नहीं आएगा. 

इन फसलों पर करें छिड़काव

वैज्ञानिकों का कहना है कि जितनी पुरानी दवा होगी, वह उतनी ही असरदार होगी. ऐसे में किसान दलहन, गेहूं, गन्ना और मक्का सहित सभी तरह की फसलों के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो सब्जियों के ऊपर भी इसका स्प्रे कर सकते हैं. किसानों को इस दवा को हमेशा ढककर ही रखना चाहिए. क्योंकि दवा में जितनी अधिक गंध रहेगी, उतनी ही कारगर रहेगी.

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