देश के कई राज्यों में शीतलहर की शुरुआत हो गई है. शाम ढलते ही तेज हवाओं से तापमान में गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में अधिक ठंड और तापमान में गिरावट के कारण आलू की फसल पर पाला पड़ने का खतरा बढ़ गया है. इस दौरान झुलसा सहित कई रोग आलू की फसल में लग जाते हैं. ऐसे में समय रहते कोई उपाय नहीं हुआ तो आलू की फसल पूरी तरह नष्ट हो जाती है. इससे किसानों को भारी नुकसान होता है. पाला का आलू की फसल पर वितरीत प्रभाव पड़ता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे किसान अपनी आलू की फसल को देखभाल करके पाला लगने से बचा सकते हैं और अधिक से अधिक पैदावार ले सकते हैं. आइए जानते हैं.
अगर तापमान में ज्यादा गिरावट हो जाए, तो घर के चूल्हा में प्रयोग की जाने वाली लकड़ी की बची राख इस्तेमाल कर सकते हैं. किसानों को आलू के खेतों में 10 से 12 किलोग्राम लकड़ी की राख का फसल पर छिड़काव करना चाहिए. ऐसा करने से आलू की फसल को थोड़ी गर्मी मिल जाती है और फसल को पाला लगने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा सड़े हुए छाछ का उपयोग कीटनाशक के तौर पर कर सकते हैं. ये भी फसल को पाले से बचाने में प्रभावी है.
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किसान आलू की फसल को पाला से बचाने के लिए खेत में टाट का इस्तेमाल कर सकते हैं. आजकल नेट लगाकर भी किसान पाला से आलू को बचाने की कोशिश करते हैं. वहीं पाला पड़ने की स्थिति में सिंचाई नहीं करने की सलाह दी जाती है. अगर सामान्य दिन में भी सिंचाई करनी है तो धूप में ही करें. साथ ही आलू को पाला से बचाने के लिए इन बातों का ध्यान रख कर फसल से अधिक से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि घटते तापमान को देखते हुए आलू की फसल और सब्जियों को संभावित पाले से बचाने के लिए हल्की सिंचाई कर सकते हैं, क्योंकि जमीन में नमी पाले के असर को बहुत कम कर देती है. साथ ही पाला से फसल को बचाने के लिए गंधक का स्प्रे भी कर सकते हैं. एक लीटर गंधक 1000 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में स्प्रे कर दें. इससे आलू की फसल पर पाला का प्रभाव नहीं पड़ता है.
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