भारत में हरी सब्जियों का उत्पादन और खपत दोनों बड़े पैमाने पर होती है. खासकर ठंड के मौसम में सब्जियों की पैदावार और खपत दोनों बढ़ जाती है. वहीं गर्मियों के मौसम में भी सब्जियों का भरमार रहता है. अगर परवल की बात करें तो यह सबसे लोकप्रिय सब्जी में से एक है. गाँव-कस्बों में ही नहीं, शहरों में भी यह हाथों-हाथ बिकता है. किसान चाहें तो इसकी खेती से कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि परवल एक सदाबहार बेल वाली सब्जी है. जिसकी खेती हर मौसम में की जा सकती है. विटामिन गुणों से भरपूर परवल की सब्जी को खाली खेतों में, मचान पर या सहफसली खेती के रूप में उगाकर अच्छे उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं परवल की अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि किसान नर और मादा पौधों का ध्यान रखें और दोनों को एक साथ लगाएं.
परवल में नर और मादा फूल अलग-अलग पौधों पर लगते हैं, इसलिए अच्छी पैदावार के लिए मादा पौधों के साथ नर पौधों का होना भी जरूरी है. नर एवं मादा पौधों का निर्धारण फूलों के आधार पर किया जाता है. मादा फूल का निचला हिस्सा सूजा हुआ, सफेद और बालों वाला होता है, जबकि नर फूल सीधा और लंबा होता है. अच्छी उपज के लिए खेत में हर 10 मादा पौधों के साथ एक नर पौधा इस प्रकार लगाना चाहिए कि पूरा मादा पौधा उस पर बनने वाले फूलों का परागण कर सके. यह बंपर पैदावार के लिए बहुत जरूरी होता है.
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परवल की खेती भारत के अधिकांश क्षेत्रों में की जाती है. इसके प्रमुख उत्पादक राज्यों की बात करें तो बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट्र में भी किसान साल में एक बार परवल की फसल लगाते हैं.
उत्तर प्रदेश में फैजाबाद परवल-1, फैजाबाद परवल-2, फैजाबाद परवल-3, फैजाबाद परवल-4, फैजाबाद परवल-5 लोकप्रिय हैं. वहीं बिहार में हिल्ली, डंडाली, राजेंद्र परवल-1, राजेंद्र परवल-2, स्वर्ण रेखा, स्वर्ण अलौकिक, निमिया, सफेदा, सोनपुरा, संतोखबा, तिरकोलबा, गुठलिया आदि की खेती विशेष रूप से की जाती है.
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