ओडिशा के कई जिलों में भारी बारिश का दौर देखा जा रहा है. सभी जिलों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई और रोपाई पूरी कर ली है. इस बारिश से किसानों को खेती में किसी तरह का नुकसान नहीं हो इसे लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. इन सलाह का पालन करके किसान फसलों को होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. साथ ही खेत में लगी खरीफ फसलों का अच्छे से प्रबंधन कर सकते हैं. इस तरह से किसान सलाह को मानते हुए अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं.
धान की फसल को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि किसान रोपाई के दौरान खेत में 2-3 सेमी जल का स्तर बनाए रखें. साथ ही खेत में वर्षा जल के बेहतर संचयन के लिए खेतों में मेड़ों को दुरुस्त रखें. रोपाई के दौरान या इसके बाद में पौधों में कई तरह के रोग और कीट का प्रकोप होने की संभावना होती है. इसके उचित प्रबंधन के लिए उचित दवाओं और कीटनाशक का इस्तेमाल करें. लगातार बारिश और अधिक नमी वाले क्षेत्रों में इस समय खेतों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप हो सकता है. इस रोग में पत्तों में भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं. इस रोग से बचाव के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5 प्रतिशत ईसी का 30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
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ब्लास्ट रोग के अलावा फसलों में तना सड़ना का भी रोग होने की संभावना बनी रहता ही. इस रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. पौधों में रोपाई के बाद तना छेदक कीट का भी हमला होता है. देर से रोपाई करने के कारण तना छेदक कीट के हमले के लिए अनुकूल स्थिति बनती है. इससे बचाव के लिए खेत में अधिक नाइट्रोजनयुक्त खाद डालना चाहिए. तना छेदक कीट के प्रकोप के कारण पोधों का ऊपरी हिस्सा सूखने लगता है. यह इसका प्रमुख लक्षण है. तना छेदक कीट रोपाई के 15-20 दिन बाद धान की फसल पर हमला कर सकता है.
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तना छेदक कीट के हमले को पौधों से बचाने के लिए रोपाई से पहले से ही सावधानी बरतनी चाहिए. कीट के अंडों को खत्म करने के लिए रोपाई से पहले ही पौधों के ऊपरी हिस्से को काट देना चाहिए. इसके अलावा अंडों को एक जगह जमा करके उन्हें नष्ट कर देना चाहिए. इस रोग से बचाव के लिए पोधों की रोपाई के वक्त उचित दूरी बनाए रखें. इसके साथ ही खेत का लगातार निरीक्षण करते रहे. अगर खेत में तना छेदक कीच का प्रकोप दिखाई देता है तो यूरिया का प्रयोग बंद कर दें. इसके साथ ही नीम तेल 1500 पीपीएम का 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
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