देश के अलग-अलग राज्यों में जनवरी महीने के अंत या फरवरी की शुरुआत में आम के पेड़ में बौर यानी मंजर आने लग जाती हैं. ऐसे में इन दिनों आम के पेड़ों का सही देखभाल उपज में बढ़ोतरी कर सकता है. लेकिन कई बार किसानों को आम की बागवानी में ये समस्या आती है कि एक साल पेड़ों में खूब मंजर आते है तो वहीं दूसरे साल कम मंजर की समस्या सताती है. साथ ही कई बार किसानों की लापरवाही के कारण पेड़ कीट और रोगों की चपेट में आ सकते हैं. आम के बागों में सही देखभाल और प्रबंधन से अधिक उत्पादन और बेहतर फल की क्वालिटी प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं किसानों को हर साल पेड़ों में अच्छी मंजर के लिए क्या करना चाहिए.
बागों में एक आम समस्या होती है. अल्टरनेटर बेयरिंग, यानी एक साल अच्छा उत्पादन जबकि अगले साल बहुत कम या बिल्कुल नहीं मंजर नहीं आना. इस समस्या की समाधान के लिए किसानों को हर साल पेड़ों की सही समय पर छंटाई और उचित सिंचाई करना जरूरी होता है. इसके अलावा किसानों को आम के तना के निचले भाग के चारों ओर दो इंच छाल को हटा देना चाहिए, जिसे गर्डलिग के नाम से जाना जाता है. गर्डलिग करने से पत्तियों के द्वारा पेड़ को ऊर्जा और कार्बोहाइड्रेट मिलता है जो टहनियों में जाती है. इससे आम के पेड़ में मंजर अच्छे आते हैं. इसके अलावा ये उचित जल प्रबंधन बीमारियों और कीटों को रोकने में भी मदद करता है, जो नम वातावरण में पनपते हैं.
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जनवरी से फरवरी के बीच आम के पेड़ में मंजर आने लगेगी. मंजर आने से पहले बाग में सिंचाई बिल्कुल भी न करे. इस समय पानी फलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. फूल आने की स्थिति से पहले पेड़ों में अगर कीट लगा हुआ है तो क्लोरोफिल फोर्स नामक दवा का पेड़ों में छिड़काव करें. फूल आने के तुरंत बाद किसी भी दवा का छिड़काव करने से बचें. इसके अलावा बौर आने से पहले सभी किसानों को अपने पेड़ों में सल्फर, पोटाश और कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए. जिससे की मंजर अच्छी आ सके.
दूसरी ओर, कम पानी देने से मिट्टी का तापमान बढ़ सकता है, जिससे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए स्वस्थ पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन और अधिक मंजर के लिए प्रभावी जल प्रबंधन आवश्यक है. तो आपको बता दें कि फूल निकलने के 2 से 3 महीने पहले से लेकर फल के मटर के बराबर होने तक आम के पेड़ में सिंचाई नहीं करना चाहिए. कुछ लोग आम में फूल लगने और खिलने के समय सिंचाई करते है इससे फूल झड़ जाते हैं. इसलिए सिंचाई तब तक न करें जब तक फल मटर के बराबर न हो जाए.
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