आजकल की खेती में रासायनिक कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता की वजह से किसान की लागत के साथ-साथ मिट्टी, जल एवं पर्यावरण पर दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं. ऐसे में अब बहुत सारे किसान धीरे-धीरे खेती में प्राकृतिक विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. इसी कड़ी में भारत के कई हिस्सों में किसानों ‘अग्नि-अस्त्र’ पद्धति को अपना रहे हैं, जिसके अंतर्गत किसान अपने खेतों के लिए प्राकृतिक और पूरी तरह से घरेलू संसाधनों से कीटनाशक तैयार कर पा रहे हैं. इस तरीके से बना कीटनाशक न केवल कम लागत वाला है बल्कि सतत एवं पर्यावरण-अनुकूल भी है.
‘अग्नि-अस्त्र’ से कीटनाशक बनाने के लिए गोमूत्र, नीम, हरी मिर्च, लहसुन और तंबाकू की जरूरत पड़ेगी. ये सारी वही चीजें हैं, जिनका मिश्रण इतना शक्तिशाली होता है कि मिट्टी को नुकसान पहुंचाए बिना फसलों के कीटों और रोगों पर प्रभावी नियंत्रण करते हैं. नीम पत्ते की प्राकृतिक कड़वाहट, मिर्च की तीक्ष्णता, लहसुन की गंध और तंबाकू का प्रभाव कीटों के लिए जहरीला माहौल तैयार कर देता है.
किसानों का कहना है कि ‘अग्नि-अस्त्र’ से बने कीटनाशक से उन्हें कई तरह के फायदे मिल रहे हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाला खर्च बहुत कम हो जाता है. दूसरा फायदा ये है कि फसलों पर किसी तरह के हानिकारक रसायन का असर नहीं पड़ता, जिससे पैदावार की गुणवत्ता बेहतर होती है. साथ ही इसके उपयोग से मिट्टी की सेहत अच्छी होती है और खेत में प्राकृतिक सूक्ष्मजीवों का संतुलन भी बना रहता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि नेचुरल कीटनाशकों के इस्तेमाल से लंबे समय में किसानों की खेती में लागत घटेगी और साथ ही उपभोक्ताओं को सुरक्षित, रसायन मुक्त खाद्य सामग्री मिलेगी. ‘अग्नि-अस्त्र’ पद्धति ग्रामीण इलाकों में उपलब् तमाम संसाधनों पर आधारित है, इसलिए इसे हर किसान आसानी से खुद से बना सकता है.
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