गुड़हल का पौधा भारतीय घरों और बगीचों में बहुत आम है. यह न केवल सजावटी पौधा है बल्कि आयुर्वेद में भी इसका विशेष महत्व माना जाता है. गुड़हल के फूल भगवान गणेश और मां काली को चढ़ाने के लिए भी उपयोग होते हैं. लेकिन अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि उनका गुड़हल का पौधा घना और हरा-भरा तो है, लेकिन फूल बहुत कम आते हैं. अब जबकि ऐसे में घरेलू उपाय के रूप में चावल का पानी पौधे को भरपूर पोषण देकर इसमें फूलों की संख्या को बढ़ा सकता है.
अगर आप चाहते हैं कि आपके बगीचे या गमले में लगे गुड़हल का पौधा हर मौसम में फूलों से लदा रहे, तो चावल का पानी एक बेहतरीन और आसान उपाय है. यह सस्ता भी है, घर पर हमेशा उपलब्ध भी और पूरी तरह सुरक्षित भी. सही तरीके से इस्तेमाल करने पर गुड़हल का पौधा भर-भरकर फूल देगा और आपका बगीचा रंग-बिरंगे फूलों से महक उठेगा. चावल धोने या पकाने के बाद जो पानी बचता है, उसमें स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, कैल्शियम और कई तरह के मिनिरल्स पाए जाते हैं. यह पोषक तत्व पौधों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करते हैं. चावल का पानी पौधे की जड़ों को ऊर्जा देता है और मिट्टी में मौजूद माइक्रोबैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर उसे उपजाऊ बनाता है. यही कारण है कि इसे पौधों का नेचुरल बूस्टर कहा जाता है.
जब भी आप चावल धोते हैं, उस पानी को फेंकने की बजाय एक बर्तन में इकट्ठा कर लें और ठंडा होने पर पौधे की जड़ों में डाल दें. अगर आपने चावल उबालकर पानी निकाला है, तो उसका तापमान सामान्य होने पर ही प्रयोग करें. हफ्ते में 1 से 2 बार यह प्रक्रिया करें. ध्यान रखें कि पानी बहुत गाढ़ा या नमकीन न हो, क्योंकि नमक पौधे को नुकसान पहुंचा सकता है. अगर आप इस पानी को सुबह या शाम प्रयोग करेंगे तो नतीजे बेहतर मिलेंगे.
गुड़हल को केवल चावल का पानी देने से ही नहीं, बल्कि अन्य साधारण उपायों से भी भरपूर फूल मिल सकते हैं. पौधे को ऐसी जगह रखें जहां कम से कम 5–6 घंटे धूप मिल सके. हर 15–20 दिन में पौधे की हल्की छंटाई करें, ताकि नई टहनियां निकलें और फूलों की संख्या बढ़े. महीने में एक बार घर का बना ऑर्गेनिक खाद जैसे कम्पोस्ट, गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट भी डालें.मिट्टी की सतह को समय-समय पर ढीला करते रहें ताकि जड़ों को ऑक्सीजन मिलती रहे.
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