भारत में मॉनसून सीजन की शुरुआत हो गई है. इसी के साथ किसान विभिन्न प्रकार की फसलों की बुवाई के लिए तैयार हैं. आमतौर पर किसान इस सीजन में मुख्य तौर पर धान, दलहन, सोयाबीन, गन्ना जैसी फसलों की बुवाई करते हैं. लेकिन आज हम आपको तगड़ा मुनाफा देने वाली लेमन ग्रास की बुवाई की जानकारी देने जा रहे हैं. लेमन ग्रास की नर्सरी डालने के लिए सबसे सही समय मार्च-अप्रैल माना जाता है. वहीं, नर्सरी डालने के दो महीने बाद यानी अब जून-जुलाई में खेत में इन पौधों की रोपाई का समय हो गया है.
लेमन ग्रास की- प्रगति, प्रमाण, कृष्णा, जम्मू ग्रास, सी.के.बी. 25 आदि किस्में प्रमुख हैं. लेमन ग्रास की खेती बीज और कलम दोनों विधि से की जाती है. कलम विधि से इसकी खेती करने पर पौधों का विकास अच्छा और जल्दी होता है. लेमन ग्रास की एक हैक्टर खेती के लिए लगभग 2 से 3 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
वहीं नर्सरी में पौधा तैयार करने के लिए दो किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. एक बार लेमन ग्रास की खेती करने से ये लगभग 5 वर्ष तक चलते हैं. किसान पौधों की रोपाई के समय पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लें. इसके बाद कल्टीवेटर से एक जुताई करके उसमें गोबर की खाद मिलाएं.
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खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल कर लें. फिर पौधों की रोपाई के लिए उचित दूरी पर क्यारियां बना लें. लेमन ग्रास के पौधों में वैसे तो दीमक कभी भी लग सकती है, लेकिन पौधों के अंकुरण के समय इसका प्रकोप सबसे ज्यादा होता है. दीमक लगने पर पौधे मुरझाकर पीले पड़ जाते हैं. बाद में पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है. लेमन ग्रास में दीमक की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों में विशेषज्ञ द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार, क्लोरोपाइरीफॉस का छिड़काव करें.
लेमन ग्रास की खेती बंजर जमीन में भी आसानी से हो जाती है. सालभर में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई और चार-पांच बार सिंचाई में ही इसकी फसल लहलहा उठती है. लेमन ग्रास से तेल निकाने के अलावा कई वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, जो किसानों को तगड़ा मुनाफा देते हैं. बाजार में इसके तेल की 1200 से 1300 रुपये प्रति लीटर के बीच रहती है.
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