भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. भारत के किसान रबी और खरीफ सहित बागवानी फसलों की बड़े स्तर पर खेती करते हैं. इससे उन्हें बंपर कमाई होती है. लेकिन कई बार कीट-पतंग फसलों पर हमला कर देते हैं. इससे फसल पूरी तरह से चौपट हो जाती है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. एक किसान द्वारा नीचे बताए गए तरीके को अपनाकर आप कम खर्चे में ही कीट- पतंगों से छुटकारा पा सकते हैं.
दरअसल, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिला स्थित गुराडिया प्रताप गांव में एक प्रगतिशील किसान हैं, जिनका नाम अर्जुन पाटीदार है. वे कीट-पतंगों के हमले से काफी परेशान थे. ऐसे में उन्होंने घर पर ही जैविक विधि से कीट-पतंगों के लिए कीटनाशक बनाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि वे कई सालों से कीटनाशक खरीदने के लिए मार्केट नहीं गए हैं. वे अपने द्वार बनाए गए घोल का ही फसलों के ऊपर छिड़काव करते हैं. इससे कीट-पतंग फसलों पर हमला नहीं करते हैं. खास बात यह है वे मार्केट से बीज भी नहीं खरीदते हैं. अर्जुन का कहना है कि किसान हर चीज बाजार से खरीदेगा तो खेती पर लागत ज्यादा आएगी. साथ ही मिट्टी उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो जाएगी.
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किसान का कहना है कि रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करने से फसल के ऊपर असर तो पड़ता ही है, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो जाती है. इसलिए अर्जुन पाटीदार खुद ही जैविक विधि से कीट- पतंगों से फसल को बचाने के लिए घर पर घोल तैयार करते हैं. वे जैविक विधि से तैयार घोल का ही फसलों के ऊपर छिड़काव करते हैं. खास बात यह है कि अर्जुन जैविक खेती पर किसानों को ट्रेनिंग देने वाले 'साकेत' नाम के ग्रुप से भी जुड़े हुए हैं.
अर्जुन का कहना है कि पांच पत्ती काढ़ा विधि से किसान कीट-पतंगो को भगा सकते हैं. इसे बनाने के लिए नीम, आक, धतूरा, सीताफल और बेसरम के पत्ते को तोड़ कर पांच लीटर देसी गाय के गोमूत्र में मिला दे. इसे बाद मिश्रण को मिट्टी के बर्तन में रख कर ढंक दें. कुछ दिनों के बाद इसे छानकर 200 लीटर पानी में मिला दें. आप फिर इस घोल को एक एकड़ में फसल के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. इसका फसल के ऊपर छिड़काव करने से कीट-पतंग नहीं लगेंगे. खास बात यह है कि यह घोल जैविक विधि से तैयार किया है, इसलिए मिट्टी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
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