अब गोदामों में रखे अनाज पर भी लोन ले सकेंगे किसान, बेहद कम होगा ब्याज...सरकार ने शुरू की ये नई स्कीम

अब गोदामों में रखे अनाज पर भी लोन ले सकेंगे किसान, बेहद कम होगा ब्याज...सरकार ने शुरू की ये नई स्कीम

e-Kisan Upaj Nidhi: वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी के ई-किसान उपज निधि की शुरुआत करते वक्त केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि संकट के समय में किसानों के उपज की कम कीमत पर होने वाली बिक्री को रोकेगी यह पहल. ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी की मदद से भंडारण व्यवस्था आसान हो जाएगी. उचित दाम प्राप्त करने में मिलेगी मदद. 

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अब गोदामों में रखे अनाज पर भी लोन ले सकेंगे किसान, बेहद कम होगा ब्याज...सरकार ने शुरू की ये नई स्कीमई-किसान उपज निधि से क्या होगा फायदा.

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार किसानों को बड़ी सौगात देने जा रही है. वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए)  से रजिस्टिर्ड गोदामों में रखे अपने उत्पादों पर किसान लोन ले सकेंगे. किसानों को बिना कुछ गिरवी रखे सात प्रतिशत की ब्याज पर आसानी से लोन मिल सकेगा. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात की जानकारी दी है. गोयल सोमवार को नई दिल्ली में डब्ल्यूडीआरए के ई-किसान उपज निधि (डिजिटल गेटवे) की शुरुआत करने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस डिजिटल प्लेटफार्म से जुड़े बैंक किसानों को ब्याज दर और रकम चुनने का विकल्प भी उपलब्ध कराएंगे. अभी देश भर में डब्ल्यूडीआरए के पास करीब 5,500 गोदाम रजिस्टर्ड हैं.

गोयल ने कहा कि भंडारण के लिए सुरक्षा जमा शुल्क बहुत जल्दि ही कम कर दिया जाएगा. इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी उपज का भंडारण करने के लिए 3 प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि का भुगतान करना पड़ता था, अब केवल 1 प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि के भुगतान करने की आवश्यकता होगी. किसानों को गोदामों का उपयोग करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया गया है. 

खत्म होगी कम कीमत की समस्या

गोयल ने कहा कि ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज की कम कीमत पर होने वाली बिक्री को रोकेगी. ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी की मदद से किसानों के उपज की भंडारण व्यवस्था आसान हो जाएगी. किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी. उन्होंंने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक राष्ट्र को 'विकसित भारत' बनाने की दिशा में आधार स्तंभ होगा.

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अच्छा दाम दिलाने में मदद करेगी यह पहल

गोयल ने कहा, डिजिटल गेटवे पहल खेती को आकर्षक बनाने के हमारे प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है. बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज बिक्री को रोक सकती है. जिन्हें फसल के बाद भंडारण की अच्छी रखरखाव सुविधाओं के न होने के कारण अक्सर अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है. गोयल ने कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है, इनकी स्थिति बहुत अच्छी है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी हालत में रखते हैं तथा खराब नहीं होने देते और इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं. 

रजिस्टर्ड होंगे एक लाख गोदाम

ई-किसान उपज निधि प्लेटफॉर्म के बारे में विस्तार से बताते हुए गोयल ने कहा कि अपनी सरलीकृत डिजिटल प्रक्रिया के साथ यह पहल किसानों के लिए किसी भी रजिस्टर्ड डब्ल्यूडीआरए गोदाम में 6 महीने की अवधि के लिए 7 प्रतिशत प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर भंडारण की प्रक्रिया को आसान बना सकती है. उन्होंने गोदाम रजिस्ट्रेशन के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करने की डब्ल्यूडीआरए पहल की सराहना की, जिसमें साल-दर-साल उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है. इस पोर्टल पर 1 लाख गोदामों को रजिस्टर्ड करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 1500 गोदाम रजिस्टर्ड किए गए थे. 

गोयल ने इस बात पर बल दिया कि 'ई-किसान उपज निधि' और ई-नाम के साथ, किसान एक इंटरकनेक्टिड मार्केट की टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में सक्षम होंगे, जो उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा दाम पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का फायदा पहुंचाती है. 

एमएसपी पर खरीद 2.5 गुना बढ़ी

गोयल ने कहा कि पिछले एक दशक में एमएसपी के जरिए सरकारी खरीद 2.5 गुना बढ़ी है. विश्व की सबसे बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के बारे में बोलते हुए मंत्री ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गोदामों का फ्री रजिस्ट्रेशन करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को सहायता देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए बढ़ावा मिलेगा, जिससे उन्हें अपनी फसल बेचने पर उचित मूल्य मिल सकेगा. 

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