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चमेली की खेती में मुनाफा ही मुनाफा, 400 रुपये किलो तक बेच सकते हैं फूल

चमेली की खेती में मुनाफा ही मुनाफा, 400 रुपये किलो तक बेच सकते हैं फूल

चमेली को फूलों की रानी माना जाता है और इसे 'सुगंध की रानी' के तौर पर भी समझा जाता है. कहते हैं कि चमेली या जिसे इंग्लिश में जैस्‍मीन कहते हैं, उसकी खुशबू मन को शांति और ताजगी प्रदान करती है. वहीं इस फूल का भारत में धार्मिक महत्‍व भी है. इस फूल के पौधे को भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसलिए इसे वैदिक ग्रंथों में महत्‍वपूर्ण स्‍थान मिला हुआ है.

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चमेली के फूल का भारत में धार्मिक महत्‍व भी बहुत ज्यादा है  चमेली के फूल का भारत में धार्मिक महत्‍व भी बहुत ज्यादा है

चमेली को फूलों की रानी माना जाता है और इसे 'सुगंध की रानी' के तौर पर भी समझा जाता है. कहते हैं कि चमेली या जिसे इंग्लिश में जैस्‍मीन कहते हैं, उसकी खुशबू मन को शांति और ताजगी प्रदान करती है. वहीं इस फूल का भारत में धार्मिक महत्‍व भी है. इस फूल के पौधे को भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसलिए इसे वैदिक ग्रंथों में महत्‍वपूर्ण स्‍थान मिला हुआ है. भारत में यूं तो चमेली की खेती दक्षिण भारत के राज्‍यों जैसे कर्नाटक और तमिलनाडु में खूब होती है लेकिन अब इसे लोग अपने गार्डन में भी लगाने लगे हैं. इस फूल की खेती काफी फायदेमंद होती है और इसमें काफी मुनाफा कमाया जा सकता है. 

250 रुपये से 400 रुपये किलो तक कीमत 

चमेली की खेती को खेती किसानी के विशेषज्ञ एक महत्वपूर्ण व्‍यापारिक फसल के तौर पर करार देते हैं. इस फूल का पौधा 10 से 15 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है. इसके सदाबाहार पत्‍ते दो से तीन इंच तक लंबे होते हैं और इसका तना पतला होता है. चमेली के फूल सफेद होते हैं और काफी खूबसूरत नजर आते हैं. मार्च से लेकर जून के महीने में इस पौधे में फूल आते हैं. चमेली के फूल का प्रयोग खासतौर पर माला, सजावट और भगवान की पूजा में होता है. इस पौधे को आप जून से नवंबर के महीने के बीच में लगा सकते हैं. इन फूलों का न्यूनतम मूल्य 250 रुपये  किलो है. जबकि शादी या त्योहारों के समय ये फूल 400 रुपये किलो तक बिकते हैं.  

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कैसे जलवायु में होती खेती 

इस फूल की खूशबू की वजह से इसे परफ्यूम और साबुन के अलावा क्रीम, तेल, शैम्पू और डिटर्जेंट पाउडर में फ्रेगरेंस के लिए किया जाता है. भारत में पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और हरियाणा में इसकी खेती मुख्‍य रूप से की जाती है. जबकि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार, यूपी महाराष्‍ट्र ,गुजरात जैसे राज्यों में नई किस्मों से अच्छी कमाई की जा सकती है. चमेली की खेती के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु को सबसे अच्छा माना गया है. वहीं इसकी कुछ किस्में ठंड वाली जलवायु में भी आसानी से उगाई जा सकती हैं. पौधे को बढ़ने के लिए 24 सेंटीग्रेट से 32सेंटीग्रेट तापमान को सबसे उपयुक्त रहता है. 

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खरपतवार से बचाएं पौधे को 

चमेली की फसल को खरपतवार से काफी खतरा रहता है. इसके साथ ही खेती की लागत भी बढ़ जाती है. इनकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहे. पौधे के आसपास जब कभी भी खरपतवार दिखाई दें, उन्हें तुरंत निकाल दें. पौधे के चारों तरफ 30 सेमी जगह छोड़कर फावड़े से खुदाई करें. साल में कम-से-कम दो से तीन खुदाई करना बहुत जरूरी है इससे पौधों की वृद्धि अच्छी होती है. 

सिंचाई पर दें ध्‍यान 

चमेली के पौधों को नियमित तौर पर पानी देना चाहिए. गर्मी के मौसम में हफ्ते में कम से कम दो बार सिंचाई करें और संतुलित मौसम में हफ्ते में सिर्फ एक बार सिंचाईं काफी है. मौसम और भूमि के अनुसार ही इसकी सिंचाई जरूरी है. चमेली का पौधा लगाने के करीब नौ से 10 महीने बाद फूल आने लगते हैं. हालांकि कुछ किस्मों में फूल पूरे साल उपलब्ध रहते हैं. अधिकांश जातियों में फूल आने का समय मार्च से अक्टूबर तक रहता है. फूल सुबह सूरज निकलने से पहले ही तोड़ लिए जाएं  तो काफी अच्छा रहता है, इससे उनकी खुशबु बनी रहती है.