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अल्फोंसो के नाम पर हो सकता है धोखा? खरीदने से पहले पढ़ लें एक्सपर्ट की सलाह

अल्फोंसो के नाम पर हो सकता है धोखा? खरीदने से पहले पढ़ लें एक्सपर्ट की सलाह

अल्‍फांसो आम किसे नहीं पसंद होगा और आम का सीजन आते ही इसकी किस्‍म की सबसे ज्‍यादा डिमांड रहती है. महाराष्‍ट्र के कोंकण क्षेत्र में आम की हापुस किस्म के उत्पादकों के पास इस साल इस आम के प्रेमियों के लिए एक खास सलाह है. बाजार में जो कुछ भी हापुस के रूप में ब्रांडेड है वह हापुस नहीं है. ग्राहकों को सावधानी बरतने और सिर्फ कोंकण से वास्तविक उपज के लिए भुगतान करने की सलाह दी गई है.

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बाजार में मिल रहे नकली हापुस से रहें सावधान बाजार में मिल रहे नकली हापुस से रहें सावधान

अल्‍फांसो आम किसे नहीं पसंद होगा और आम का सीजन आते ही इसकी किस्‍म की सबसे ज्‍यादा डिमांड रहती है. महाराष्‍ट्र के कोंकण क्षेत्र में आम की हापुस किस्म के उत्पादकों के पास इस साल इस आम के प्रेमियों के लिए एक खास सलाह है.  कोंकण क्षेत्र के आम उत्पादकों की एक सहकारी संस्था, कोंकण हापुस अंबा उत्पादक विक्रेता सहकारी संघ के निदेशक मुकुंद जोशी ने एक अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कहा है कि बाजार में जो कुछ भी हापुस के रूप में ब्रांडेड है वह हापुस नहीं है. ग्राहकों को सावधानी बरतनी होगी और सिर्फ कोंकण से वास्तविक उपज के लिए भुगतान करना चाहिए. 

जीआई टैग वाली पेटियां खरीदें 

जोशी के हवाले से इंडियन एक्‍सप्रेस ने लिखा है कि लोगों को सिर्फ ऐसी हापुस आम की पेटियां खरीदने की अपील की है जिन पर जीआई टैग नंबर और बारकोड चिपका हो.  पिछले कुछ सालों में जोशी और कोंकण क्षेत्र के बाकी आम उत्पादकों ने फल पर अपनी इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी या बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं. कोंकण क्षेत्र के आमों को हापुस या अल्फांसो टैग का उपयोग करने की अनुमति है क्योंकि इन्‍हें जीआई टैग पहले ही मिल चुका है. किसी भी बाकी आम के लिए 'हापुस' का प्रयोग, भले ही वे कोंकण क्षेत्र के ग्राफ्टेड पौधों से उगाए गए हों, अवैध माना जाता है. 

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इस साल हुआ है अच्‍छा उत्‍पादन 

जोशी ने कहा कि इस साल, प्रकृति की अनिश्चितताओं के कारण, आम उत्पादकों को उनकी सामान्य उपज का करीब 25-30 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा. उनका कहना था कि सात फरवरी तक हम अच्छी फसल को लेकर भरोसेमंद थे. हालांकि, सात फरवरी को हुई बारिश के कारण छोटे फल और फूल झड़ गए थे.  

बेमौसम बारिश ने खर्चे का खतरा बढ़ा दिया है जिससे किसानों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी. जोशी ने कहा, लेकिन दूसरा फूल अच्छा रहा है और उत्पादन, 25-30 प्रतिशत पर है. यह पिछले साल की तुलना में ज्‍यादा है जो कि सिर्फ 15 प्रतिशत था. जोशी ने कहा, कोंकण क्षेत्र से अलग कर्नाटक के आम उत्पादकों ने संतोषजनक फूलों की स्थिति की सूचना दी है. वो भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं. 

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कर्नाटक के आमों ने बढ़ाई चिंता 

उनका कहना था कि उन्‍हें बस इस बात की चिंता है कि कर्नाटक से आमों की बाढ़ आ जाएगी जिन्हें हापुस के नाम से बेचा जाएगा. ऐसे में ग्राहकों से अपील है कि वे जीआई टैग की जांच करें और बक्सों पर बारकोड को स्कैन करें और हापुस के रूप में बेचे जा रहे किसी भी बक्से के लिए पेमेंट न करें. जोशी और बाकी हापुस उत्पादक संगठनों ने हापुस शब्द के गैर-कानूनी उपयोग की रक्षा के लिए प्रयास किए हैं. जोशी ने कहा कि 1700 से ज्यादा किसान और प्रोसेसर हैं जिन्होंने हापुस नाम के उपयोग के लिए अपने बागानों को रजिस्‍टर्ड किया है.