बदलते मौसम में पशुओं और मछलियों का ध्यान रखना जरूरी, 8 पॉइंट्स में जानें क्या करना है

बदलते मौसम में पशुओं और मछलियों का ध्यान रखना जरूरी, 8 पॉइंट्स में जानें क्या करना है

पूर्वी भारत के राज्यों में मछली पालन को लेकर खास सलाह दी गई है. आईएमडी ने कहा है कि ओडिशा में सर्दियों में "ईयूएस" (एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम) की संभावना है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बचाव के उपाय के रूप में एक एकड़ तालाब क्षेत्र में 400 मिली लीटर पानी में "सिफैक्स" डालें. मछलियों को प्रतिदिन उनके बायोमास का 2-3% ऑयल केक चोकर मिक्सचर खिलाना चाहिए.

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बदलते मौसम में पशुओं और मछलियों का ध्यान रखना जरूरी, 8 पॉइंट्स में जानें क्या करना हैबदलते मौसम में पशुओं का ध्यान रखना जरूरी

बदलते मौसम का असर केवल इंसानों पर नहीं पड़ता बल्कि इसके प्रभाव में पशु-पक्षी और मछलियां भी आती हैं. उनकी सेहत भी बिगड़ती है. इसे देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में बताया गया है कि किसानों को क्या करना है. वे कैसे अपने पशुओं और मछलियों का खास ध्यान रख सकते हैं. इसके लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह दी गई है. आइए राज्यवार जान लेते हैं कि किसानों को क्या करना है.

पशुओं-मछलियों का कैसे रखें ध्यान

  1. तमिलनाडु में, मौजूदा मौसम की स्थिति के कारण, रात के समय का तापमान मवेशियों में निमोनिया के लिए अनुकूल है. इसके जोखिम को कम करने के लिए, पर्याप्त हीटिंग व्यवस्था के साथ रात में पशुओं को बंद बाड़े या कमरे में रखा जाना चाहिए. इससे पशुओं में निमोनिया फैलने का खतरा कम होगा और पशु स्वस्थ रहेंगे.
  2. उत्तर पूर्व भारत के राज्यों में मवेशियों और भैंसों को एफएमडी, ब्लैक क्वार्टर और हेमोरेजिक सेप्टिसीमिया के खिलाफ टीका लगाया जाना चाहिए. भेड़ और बकरी को पीपीआर और एंटरोटॉक्सिमिया के खिलाफ टीका लगाया जाना चाहिए. टीकाकरण से पहले शरीर के वजन के अनुसार डीवर्मिंग करने से बेहतर इम्युनिटी मिलती है. इन टीकों से पशुओं को स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने में मदद मिलेगी.
  3. असम के मध्य ब्रह्मपुत्र घाटी क्षेत्र में, कई क्षेत्रों में मछली तालाबों का पानी धीरे-धीरे सूख गया है. इसलिए, तालाबों के उथले पानी में बढ़ती आबादी के कारण मछलियों को नुकसान होने की संभावना है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आबादी को कम करने के लिए कुछ मछलियां पकड़ें और गहराई बढ़ाने के लिए तालाबों की खुदाई करें. किसान तालाब में पानी का स्तर बनाए रखने पर पूरा ध्यान दें.
  4. त्रिपुरा में, पानी में दुर्गंध आने पर, तुरंत तालाब को नीचे से साफ करें ताकि बदबूदार गैसें निकल जाएं. जब भी संभव हो किसान को पानी को जरूरी स्तर तक भरना चाहिए. पुराने तालाबों में 10 किग्रा प्रति कनी की दर से चूना डालें. प्रभावित मछलियों को सभी जीवाणु और फंगल रोगों के लिए पोटेशियम परमैंगनेट (2 मिलीग्राम/100 मिली) या साधारण नमक (3 ग्राम/100 मिली) या कॉपर सल्फेट (50 मिलीग्राम/100 मिली) के घोल से उपचारित किया जा सकता है. सर्दियों के दौरान मछलियों में ईयूएस रोगों को रोकने के लिए, सिफैक्स को 200 मिली प्रति कनी की दर से डालें.
  5. पूर्वी भारत के राज्यों में मछली पालन को लेकर खास सलाह दी गई है. आईएमडी ने कहा है कि ओडिशा में सर्दियों में "ईयूएस" (एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम) की संभावना है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बचाव के उपाय के रूप में एक एकड़ तालाब क्षेत्र में 400 मिली लीटर पानी में "सिफैक्स" डालें. मछलियों को प्रतिदिन उनके बायोमास का 2-3% ऑयल केक चोकर मिक्सचर खिलाना चाहिए.
  6. बिहार में दुधारू पशुओं को स्तनदाह रोग (मस्टाइटिस) से बचाने के लिए सारा दूध निकाल लें. दूध दुहने के बाद थनों को कीटाणुनाशक घोल से धो लें ताकि उसमें किसी तरह का संक्रमण का खतरा न रहे. यह रोग पशुओं के लिए घातक होता है.
  7. मध्य प्रदेश में प्रति पशु उनकी पोषक जरूरतों की पूर्ति के लिए 50 ग्राम खनिज मिश्रण खिलाया जाना चाहिए. साथ ही प्रति पशु हर दिन 10 किलोग्राम हरा चारा और जरूरत के अनुसार कंसेनट्रेट मिश्रण भी खिलाना चाहिए.
  8. छत्तीसगढ़ में यदि पशुओं के बाड़े या घर और मुर्गीघर में खिड़कियां नहीं लगी हों तो ठंडी हवा रोकने के लिए बोरियां लटकाई जानी चाहिए. दुधारू पशुओं को दिन में 4-5 बार ताजा पीने का पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इससे पशु स्वस्थ रहते हैं और उनके दूध की मात्रा बनी रहती है.

किसान आईएमडी की इन सलाहों पर गौर करते हुए अपने पशु, मुर्गी और मछलियों का खास ध्यान रख सकते हैं. किसान इन उपायों से किसी नुकसान से बच सकते हैं जो बीमारियों के रूप में सामने आती हैं. बदलते मौसम में किसान इन सलाहों को मानकर अपने पशुधन को स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं.

 

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