भेड़-बकरी हो या गाय-भैंस, उन्हें उनके काम के हिसाब से तीन तरह का दाना-चारा खिलाया जाता है. जैसे बकरी की बात करें तो बकरी अगर दूध दे रही है तो उसका दाना-चारा अलग होगा. बच्चा देने वाली है तो उसकी खुराक कुछ अलग हटकर होगी. इतना ही नहीं, अगर बकरी दूध नहीं दे रही, बच्चा देने की तैयारी भी नहीं है तो गोट एक्सपर्ट के मुताबिक उसकी खुराक भी तय करनी होगी. तभी वो ग्रोथ करेगी. ऐसी बकरियों को ड्राई बकरी कहा जाता है.
लेकिन ये तय है कि अगर आपने दूध देने वाली और बच्चा देने को तैयार बकरी की खुराक एक्सपर्ट के मुताबिक तय की तो फिर वो दूध तो ज्यादा देगी ही बच्चा भी हेल्दी होगा. क्योंकि बकरी बच्चा देने के बाद ही दूध देना शुरू करती है. इसलिए हर बकरी पालक की कोशिश होती है कि उसकी बकरी ज्यादा दूध दे, बकरी जो दूध दे वो क्वालिटी का हो. इसलिए अगर बच्चा और दूध देने वाली बकरी को दाना-चारा खिलाने में जरा भी कंजूसी बरती तो इसका असर होने वाले बच्चे और बकरी दोनों पर ही पड़ता है.
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रिटायर्ड गोट साइंटिस्ट एचए तिवारी का कहना है कि जब बकरी को गर्भवती कराना हो तो उसी के साथ ही उसकी खुराक बढ़ा दें. हरा चारा और दाने की मात्रा बढ़ा दें. गर्भवती कराने से दो हफ्ते पहले ही बकरी की सामान्य खुराक 3 किलो दाना हर महीने में 100 से 200 ग्राम दाना और बढ़ा दें. इतना ही नहीं जब बकरी बच्चा देने वाली हो तो उससे एक-दो हफ्ते पहले सामान्य खुराक में दाने की मात्रा 300 से 400 ग्राम तक बढ़ा दें. जितना हो सके बकरी को पौष्टिाक किस्म का हरा चारा खिलाएं.
एचए तिवारी ने बताया कि दूध देने वाली बकरी को भी ज्यादा खुराक की जरूरत होती है. एक लीटर तक दूध देने वाली बकरी को हर रोज 300 ग्राम तक दाना खिलाना चाहिए. दाना दिन में कम से कम दो बार में दें. साथ ही दिनभर में हरा और सूखा चारा मिलाकर करीब 4 किलो वजन तक खाने को दें. सामान्य मौसम में 20 किलो वजन की बकरी को 700 एमएल तक पानी पिलाना चाहिए. वहीं गर्मी के मौसम में यह मात्रा डेढ़ गुनी कर देनी चाहिए.
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