जूट की खेती में बिहार के किसान एक अनोखा प्रयास कर रहे हैं. दरअसल, जूट पत्तियों के अनोखे इस्तेमाल ने किसानों को अपनी ओर फिर से खींचा है. जूट की पत्तियों से फ्लेवर्ड लीफ ड्रिंक तैयार किया जा रहा है, जिससे जूट किसानों की तकदीर संवारने में मदद मिल रही है. बात करें जूट की पत्तियों से तैयार लीफ ड्रिंक की तो उससे नशा नहीं होता है, बल्कि उसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. दूसरी और जूट की जो पत्तियां झड़कर नीचे गिर जाती हैं उससे भूमि की उर्वरा शक्ति को मजबूती मिल रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि घर में कैसे तैयार करें जूट कि पत्तियों से बनी फ्लेवर्ड लीफ ड्रिंक.
जूट की पत्तियों के इस ड्रिंक को तीन फ्लेवर में तैयार किया गया है. तीनों फ्लेवर में तुलसी, दालचीनी और अदरक के फ्लेवर वाला ड्रिंक तैयार किया जाता है. विशेषज्ञों कि मानें तो इसके पीने से शुगर कंट्रोल होता है, साथ ही कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं में भी लाभदायक होता है. इसके अलावा ये बुढ़ापे को जल्द आने में रोकता है.
ये भी पढ़ें:- फसलों को चूहों से बचाने के लिए सबसे आसान उपाय क्या है? चूहामार किन दवाओं का करें प्रयोग?
आपको बता दें कि जूट की पत्तियों से बनी चायपत्ती को तैयार करने में रोस्टिंग मशीन की अहमियत बहुत अधिक है. इसी मशीन की मदद से पत्ते को सुखाने और चाय पत्ती तैयार करने में किसानों को आसानी होती है. जूट के 30, 35, 45 और 85 दिन के तैयार पत्ते को तोड़कर उसे दो घंटे तक पानी में डूबाकर रखना है, उसके बाद छान कर सूती सादे कपड़े पर छांव में सुखाना है. उसके बाद रोस्टिंग मशीन के माध्यम से उसे रोस्ट करने की प्रक्रिया से गुजरने के बाद फ्लेवर मिला कर लीफ ड्रिंक तैयार किया जा सकता है. इससे अधिक मात्रा में जुट की पत्तियों की चाय बनाकर अन्य किसानों को इससे लाभान्वित किया जा सकता है.
जूट की पत्ति जो झड़कर नीचे गिरती है उससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. जूट के पत्ते प्रोटीन, विटामिन, बीटा कॅरोटीन और खनिज से भरपूर होते हैं. इसके अलावा जूट की पत्ती में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. बिहार में लगातार ट्रेनिंग देकर किसानों को जूट की खेती के बारे में बताया जाएगा. जूट की पत्तियों से तैयार ड्रिंक के पैकेजिंग से लेकर बाजार तक उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि किसानों को इसका भरपूर लाभ मिल सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today