खीरे को रातभर में मुरझाने और मरने से बचाएं, तुरंत करें जीवाणु विल्ट का इलाज

खीरे को रातभर में मुरझाने और मरने से बचाएं, तुरंत करें जीवाणु विल्ट का इलाज

खीरे की खेती पूरे भारत में बड़ी मात्रा में की जाती है. गर्मी के दिनों में बाजारों में खीरे की खूब डिमांड भी रहती है. लेकिन कई बार खीरे के लिए जीवाणु विल्ट बेहद खतरनाक हो जाता है. इस रोग के लगने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें इस रोग से खीरे की फसल का बचाव.

Advertisement
खीरे को रातभर में मुरझाने और मरने से बचाएं, तुरंत करें जीवाणु विल्ट का इलाजखीरे को मुरझाने और मरने से बचाएं

खीरे की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमाते हैं, लेकिन कई बार खीरे की फसलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. खीरे के फसल में जीवाणु विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है. ये रोग खीरे की फसल के लिए एक प्रमुख बीमारी है. इसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इस रोग के लगने से खीरे की बेलें रहस्यमयी तरीके से मुरझा जाती हैं और खीरे के पौधे रातों-रात मर जाते हैं. इसका मतलब है कि वे जीवाणु विल्ट से संक्रमित हैं. जब बेलें जीवाणु विल्ट से संक्रमित हो जाती हैं तो खीरे के पौधे मर जाते हैं. ऐसे में आप अपने खीरे के पौधों की सुरक्षा के लिए मौसम की शुरुआत में ही उपाय कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे.  

जीवाणु विल्ट के क्या हैं लक्षण

बात करें जीवाणु विल्ट के लक्षण की तो इसका एक संकेत यह है कि पौधे अच्छी तरह से पानी दिए जाने पर भी मुरझा जाते हैं. साथ ही यदि पौधे से चिपचिपा, रिसने वाला पदार्थ निकलता है, तो यह जीवाणु विल्ट है. यह चिपचिपा पदार्थ पौधों को पानी अंदर लेने से रोकता है जिसकी वजह से पौधे रातों-रात सूख जाते हैं. वहीं, खीरे के मुरझाने से होने वाला नुकसान बहुत जल्दी होता है. संक्रमित होने के एक सप्ताह के भीतर, पत्तियों पर फीके धब्बे हो जाते हैं. दो सप्ताह के भीतर पूरी बेल मुरझा जाती है और फल छोटे दिखने लगते हैं. 

ये भी पढ़ें:- मैग्नीशियम की कमी से कप जैसी बन जाती हैं कपास की पत्तियां, ऐसे करें बचाव

जीवाणु विल्ट होने का कारण

जीवाणु विल्ट बैक्टीरिया इरविनिया ट्रेचीफिला के कारण होता है. यह तब फैलता है जब धारीदार ककड़ी बीटल या धब्बेदार ककड़ी बीटल पौधे की पत्तियों को खाते हैं. ये बीटल ककड़ी मोज़ेक वायरस भी फैलाते हैं. धारीदार ककड़ी बीटल लगभग 1/4 इंच लंबा होता है और इसके पीले-हरे पंखों पर तीन काली धारियां होती हैं. वहीं, धब्बेदार ककड़ी बीटल का भी इसी तरह का पीला-हरा रंग होता है, लेकिन इसमें 12 काले धब्बे होते हैं. धब्बेदार ककड़ी बीटल ककड़ी (खीरे, खरबूजे, स्क्वैश, कद्दू और लौकी) और अन्य पौधों को खाते हैं. ये खीरे के पौधों के नीचे मिट्टी में पाए जाते हैं. इनके अंडे चमकीले नारंगी-पीले रंग के होते हैं. यही पौधे को खाकर उसे सूखा देते हैं. 

जीवाणु विल्ट से बचाव के उपाय

जीवाणु विल्ट को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है अपने पौधों को स्वस्थ रखना. वहीं, सुनिश्चित करें कि आपके पौधों को अच्छी तरह से पानी मिले और उनकी अच्छी देखभाल हो सके. बैक्टीरिया तभी संक्रमित करता है जब उसे पौधे या फल में जाने की जगह मिलती है. जैसे कि गहरे बीटल के काटने या फटने से, इसलिए सावधान रहें कि आपके खीरे के पौधों को नुकसान न पहुंचे. जीवाणु विल्ट को नियंत्रित करने के लिए अन्य सुझाव ये हैं- 

प्रतिरोधी किस्में चुनें: खीरे की प्रतिरोधी किस्मों को इस रोग से बचाव के लिए उगाया गया जाता है. यदि आप खीरे को बीज से उगा रहे हैं, तो प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, या अपने स्थानीय नर्सरी या उद्यान केंद्र पर खीरे के पौधे खरीदते समय प्रतिरोधी किस्मों के बारे में पूछें. 

जल्दी निगरानी करें: जीवाणु विल्ट वसंत ऋतु की शुरुआत में दिखाई देते हैं और पत्तियों के नीचे अपने अंडे देते हैं. ऐसे में जब इनके लक्षण दिखने लगें तो अंडे की थैलियों को हटाकर या कुचलकर नष्ट कर दें. 

ढकने का इंतजाम करें: खीरे के पौधों को फ्लोटिंग रो कवर से ढककर शुरुआत में सुरक्षित रखें. कवर के निचले हिस्से को सुरक्षित रखें ताकि विल्ट नीचे न रेंग सकें. 

लार्वा अवस्था में कीटनाशकों का उपयोग करें: वयस्क विल्ट का कवच कठोर होता है, इसलिए यदि आप उनके लार्वा अवस्था के दौरान कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, तो आपके खीरे की फसल खराब नहीं होगी और नहीं मरेगी.

POST A COMMENT