कपास सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है. कपास की खेती करने में अधिक मेहनत नहीं लगती है. वहीं, इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है. व्यावसायिक जगत में यह 'व्हाइट गोल्ड' के नाम से जाना जाता है. लेकिन इससे अच्छी कमाई के लिए जरूरी है की फसल अच्छी हो. अच्छी फसल के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. दरअसल, कपास के पौधों के पोषण का मुख्य स्त्रोत मैग्नीशियम है. यह कपास की वृद्धि और उपज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन कभी-कभी यह महत्वपूर्ण खनिज पौधों से समाप्त हो जाता है, जिससे पौधे बौने हो जाते हैं और इसकी पत्तियां कप जैसी बन जाती हैं. लेकिन कपास के किसानों के लिए इससे डरने की जरूरत नहीं है. आज हम आपको कपास में मैग्निशियम की कमी से पौधों को होने वाले नुकसान से बचाव का उपाय बताएंगे.
पत्ती का कप जैसा आकार: मैग्नीशियम की कमी से कपास की पत्तियां किनारों पर ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं, जिससे वे कप के आकार की दिखाई देती हैं. ऐसा होने से पौधों का विकास रुक जाता है.
अंतरशिरा हरित रोग: पत्तियों में शिराओं के बीच पीलापन आ जाता है, जबकि शिराएं हरी रहती हैं. यह अक्सर सबसे पहले नई पत्तियों में देखा जाता है.
पौधों का ग्रोथ रुकना: मैग्नीशियम की कमी से प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है, जिससे पूरे पौधे की वृद्धि प्रभावित होती है और फसल पकने में देरी हो सकती है.
उपज और क्वालिटी में कमी: मैग्नीशियम फाइबर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए इसकी कमी से उपज कम हो सकती है और फाइबर कमजोर और कम हो सकता है.
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रेतीली मिट्टी: इस मिट्टी में मैग्नीशियम के बने रहने की क्षमता कम होती है.
भारी वर्षा: अधिक वर्षा से मिट्टी से मैग्नीशियम अधिक मात्रा में निकल सकता है.
अधिक मात्रा में उर्वरक: कुछ उर्वरकों का अधिक प्रयोग पौधे को मैग्नीशियम सोखने में बाधा पैदा कर सकता है.
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