दिसंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है और इस समय रबी फसलों की बुवाई का दौर जारी है. वहीं, कई किसान पहले ही रबी फसलों की बुवाई कर चुके हैं. ऐसे में आज हम आपको रबी फसलों समेत बागवानी से जुड़े कार्यों की जानकारी देने वाले हैं, जिन्हें दिसंबर माह में करने की जरूरत पड़ती है या पड़ सकती है. आज हम यहां गेहूं, चना, राई-सरसों, रबी मक्का, आलू और आम-लीची के बाग से जुड़े कामों को लेकर जानकारी देने जा रहे हैं. इन कार्यों को पूरा करने से आपको अच्छी और गुणवत्तापूर्ण पैदावार हासिल करने में मदद मिलेगी. सबसे पहले बात करते हैं गेहूं की फसल के बारे में…
यूं तो बड़ी संख्या में किसान पहले ही गेहूं की बुवाई कर लेते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से अगर आप ने बुवाई नहीं की है तो जल्दी कर लें. क्योंकि ज्यादा देर करने पर इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा. वहीं, अगर पछेती बुवाई में देर हो रही है तो बीजों की संख्या बढ़ा दें, इससे पैदावार में लाभ होगा. वहीं, खरपतवार से निपटने के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 WP या सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% + मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5% डब्ल्यूजी 20 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200-250 लीटर पानी में घोलकर बना लें और पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करें.
प्रमुख रबी फसल चना में इस समय पहली सिंचाई की जरूरत होती है. बुवाई के 45-60 दिनों के बीच सिंचाई करना चाहिए. वहीं, अगर जरूरत लगे तो बाद में भी सिंचाई कर सकते हैं. इस दौरान खरपतवार से निपटने के लिए लगातार फसलों की निगरानी और देखभाल करते रहें. इस समय चना फसल में झुलसा रोग लगने का खतरा भी बना रहता है तो ऐसे में इससे बचाव का भी उपाय तैयार रखें. झुलसा रोग का प्रकोप दिखने पर रोकथाम के लिए 2 किलोग्राम मैनकोज़ेब 75% 50 डब्लूपी का 500 से 600 लीटर पानी में घोल बना लें और प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें. ये प्रयोग 10 दिन के अंतराल में दो बार करें.
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रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल राई और सरसों की बुवाई करने वाले किसानों के लिए यह महीना सिंचाई के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसमें बुवाई के 55 से 65 दिन बाद दूसरी सिंचाई की जरूरत पड़ती है. समय पर सिंचाई से अच्छी क्वालिटी की पैदावार हासिल होती है.
रबी सीजन की मक्का बेहद ही फायदेमंद सौदा है. इस समय अगर आपको बुवाई किए हुए 20-25 दिन हो गए हैं तो पहली निराई-गुड़ाई और सिंचाई का काम निपटा लेना चाहिए. शीतकालीन मक्का के लिए नमी बहुत जरूरी है, इसलिए नमी बरकरार रखने के लिए खेत में समय-समय पर हल्की सिंचाई करते रहें.
इस समय आलू की फसल में 10 से 15 दिन के गैप में सिंचाई करें और खेतों को पाले से बचाने के लिए धुएं का प्रयोग करें. इसके अलावा दिसंबर में आलू पर झुलसा और एफिड रोग का खतरा हो सकता है. इनके लक्षण दिखने पर मैकोजेब 2 ग्राम और फॉस्फामिडॉन 0.6 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाएं और 10 से 12 दिन के गैप में 2 से 3 बार घोल का छिड़काव करें.
इस समय बागों फलदार पेड़ों और पौधों पर कीटों के हमले का खतरा बना रहता है. ऐसे में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर पेड़ों को बचाएं. खासकर इस मौसम में आम, अमरूद और लीची के पेड़ों पर मिलीबग के हमले का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में इससे बचने के लिए उचित उपाय करें.
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