किसान ऐसे करें आलू के साथ मक्के की खेती, कम समय में मिलेगी दोगुनी आय

किसान ऐसे करें आलू के साथ मक्के की खेती, कम समय में मिलेगी दोगुनी आय

दो या दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में और एक ही मौसम में उगाया जाता है तो उसे अंतर्वती खेती कहते हैं. इससे खरपतवार नियंत्रण, पौध संरक्षण, खाद और उर्वरकों के प्रयोग में आसानी रहती है. साथ ही एक फसल दूसरी फसल के विकास और वृद्धि को प्रभावित नहीं करती है. इस प्रकार आलू के साथ मक्का की सहफसली खेती करके मक्का फसल को बिना कोई क्षति पहुंचाए इसी जमीन से आलू की फसल लगाकर दोहरा लाभ कमाया जा सकता है.

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किसान ऐसे करें आलू के साथ मक्के की खेती, कम समय में मिलेगी दोगुनी आय आलू की उन्नत क़िस्मों की करें खेती

किसान सहफसली खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस विधि से एक साथ दो फसलों की खेती होती है. इसी कड़ी में आज आपको आलू के साथ मक्के की खेती के बारे में जानना चाहिए. यह ऐसी खेती है जिसमें किसानों को दोगुनी आय मिलती है, वह भी एक साथ दो फसलों की खेती करते हुए. इसमें मौसम और मिट्टी का ध्यान रखते हुए आसानी से एक साथ दो फसलों की खेती की जा सकती है. आलू और मक्का की मिश्रित खेती में आलू को मक्के के बीच-बीच में लगाया जाता है. इतना ही नहीं, उसी खेत में आलू के अलावा राजमा और बाकला की भी खेती की जा सकती है. बिहार में इस मिश्रित खेती को किसान लंबे दिनों से आजमा रहे हैं और फायदा ले रहे हैं. आइए जानते हैं इस मिश्रित खेती और इसके लाभ के बारे में.

मक्का को अनाजों की रानी कहा जाता है जिसका खाद्य सुरक्षा और पोषण में बहुत बड़ा रोल है. बिहार में इस अनाज की खेती 8.7 लाख हेक्टेयर में होती है और हर साल उत्पादन लगभग 9 लाख टन के करीब होता है. इसमें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उनकी आय को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से आलू के साथ मक्के की अंतरवर्ती खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. प्रदेश के हजारों किसान आलू के साथ मक्का की खेती कर दोहरा लाभ पा रहे हैं. 

कैसे करते हैं अंतर्वती खेती

दो या दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में और एक ही मौसम में उगाया जाता है तो उसे अंतर्वती खेती कहते हैं. इससे खरपतवार नियंत्रण, पौध संरक्षण, खाद और उर्वरकों के प्रयोग में आसानी रहती है. साथ ही एक फसल दूसरी फसल के विकास और वृद्धि को प्रभावित नहीं करती है. इस प्रकार आलू के साथ मक्का की सहफसली खेती करके मक्का फसल को बिना कोई क्षति पहुंचाए इसी जमीन से आलू की फसल लगाकर दोहरा लाभ कमाया जा सकता है.

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बिहार के पूर्वी चंपारण के किसान अरुण पासवान बताते हैं कि वे एक ही खेत में मक्का के साथ आलू और राजमा की खेती करते हैं. इस खेती में जो खर्च होता है, उससे बहुत अधिक आमदनी हो जाती है. एक ही खेत में 3-4 क्विंटल तक आलू की पैदावार हो जाती है. इसी खेत में डेढ़ क्विंटल तक मक्का मिल जाता है. वे बताते हैं कि किसान मक्के के साथ आलू या आलू के साथ राजमा की खेती कर सकते हैं. या मक्का के साथ राजमा की खेती की जा सकती है. 

क्या कहते हैं बिहार के किसान

मणिपुर, समस्तीपुर के किसान विभाकर कुमार कहते हैं कि वे आलू और मक्के की इंटरक्रॉपिंग करते हैं. इसमें आलू की खुदाई पहले हो जाती है जबकि मक्के की कटाई बाद में होती है. इस खेती में एक ही खर्च में दोहरा लाभ मिलता है. पहले एक फसल की खेती करते थे, लेकिन कृषि पदाधिकारियों से मिली सलाह के बाद अंतर्वती खेती शुरू की. खेत में एक ही बार खाद देना होता है जिससे पैदावार मिल जाती है. आलू-मक्का या मक्का-बाकला की खेती में दो बार सिंचाई करने की जरूरत होती है. 

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अन्य फसलों की बात करें तो किसान आलू, मूली, मटर और राजमा की खेती एकसाथ कर सकते हैं. इस मिश्रित खेती से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. साथ ही खेतों में मक्का के साथ अन्य फसलों का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर हो सकता है. इन फसलों को बेचकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. इसमें ध्यान ये रखना होता है कि मक्का की बुवाई करने से पहले खेत की गहरी जुताई जरूर करें. बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 10-15 टन गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट जरूर दें. अधिक उपज लेने के लिए हाइब्रिड किस्म के बीजों को लगा सकते हैं.

 

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