इन दिनों देश में किसानों की आय को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ कुछ ऐसी फसलों की भी खेती करने के प्रति जागरुक किया जा रहा है, जिससे वह कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकें. इसमें काली हल्दी की खेती कई प्रदेश के किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. असल में बाजार में बढ़ती काली हल्दी की मांग ने किसानों के लिए मुनाफे वाली फसल साबित किया है. इसके पीछे कोरोना महामारी की भूमिका अहम रही है. असल में कोरोना महामारी के दौरान शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काली हल्दी की भूमिका अहम रही थी. जिसके बाद से बाजार में काली हल्दी की मांग बाजार में बनी हुई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि काली हल्दी की खेती कैसे करते हैं. इसकी बुवाई के लिए सही समय क्या है.
किसी भी फसल को करने से पहले किसान को अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करानी चाहिए, जिसके बाद आपको यह पता चल जाता है कि, मिट्टी में किस प्रकार की फसल करने की क्षमता है और क्या उसकी गुणवत्ता है. जानकारों की मानें तो काली हल्दी की खेती के लिए भुरभुरी दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है, काली हल्दी के खेत में बारिश का पानी नहीं जमा होना चाहिए और पौधे की बढ़वार के समय मिट्टी को चढ़ाया जाना चाहिए जिससे कि इसकी जड़ मिट्टी में परस्पर दबी रहे.
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एक हेक्टेयर में काली हल्दी के करीब 2 क्विंटल बीज लगा सकते हैं और जून का महीना इस फसल के लिए बेहतर माना जाता है. कम पानी वाली इस फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं रहती है और न ही इसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक की भी जरूरत पड़ती है. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए किसान अपने खेतों को तैयार करने के दौरान देसी गाय के गोबर की खाद लगा सकें तो इससे काली हल्दी की पैदावार अच्छी हो सकती है.
गौरतलब है कि काली हल्दी की खेती देश में कम किसान कर रहे हैं, तो इसका उत्पादन कम है और मांग बढ़ रही है, जिसके चलते किसानों को काली हल्दी की फसल का अच्छा दाम मिल रहा है.अगर हम एक एकड़ की बात करें तो, काली हल्दी की खेती से कच्ची हल्दी करीब 50-60 क्विंटल प्राप्त हो जाती है और यह सूखकर करीब 12-15 क्विंटल तक होती है। बाजार में करीब यह 500 रुपये किलो के हिसाब से बेची जा रही है.
बीते दिनों देश के कुछ ऐसे भी किसान सामने निकलकर आए हैं, जो काली हल्दी को 4000 से 5000 रुपये किलो तक भी बेचने में सफल हुए हैं.तो काली हल्दी की खेती देश के किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है, जरूरत है तो बाजार की मांग और सप्लाई की बारीकी को समझने की.
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