झारखंड में मॉनसून की शुरुआत में हुई कम बारिश के बाद एक बार बारिश ने रफ्तार पकड़ी है और राज्य के लगभग सभी जिलों में अच्छी बारिश हो रही है. इससे किसानों के चेहरे में खुशी है और कृषि गतिविधियों में तेजी आई है. बारिश की स्थिति को देखते हुए किसानों से कहा गया है कि वो जल्द से जल्द धान की रोपाई कर दें क्योंकि बारिश नहीं होने के कारण किसान पहले ही देरी कर चुके हैं. इस तरह से किसान अपने फसलों को हुए नुकसान की भारपाई कर सकते हैं. हालांकि राज्य में कई ऐसे जिले हैं जहां पर सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है उन जिलों में किसान धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं या फिर उड़द या मूंग की खेती कर सकते हैं.या फिर उड़द या मूंग की खेती कर सकते हैं.
वहीं जिन किसानों ने सब्जी की खेती की है वो किसान सब्जियों की नर्सरी में जलजमाव नहीं होने दे. साथ ही किसान भाई इस बात पर ध्यान दे की बारिश खत्म होने के बाद किसान भाई धान में ब्लास्ट रोग के साथ साथ सब्जियों में भी कई प्रकार के रोग लगते हैं इसलिए खेतों में विशेष निगरानी रखें. जिन खेतों में किसानों ने सीधी बुवाई तकनीक का इस्तेमाल करके धान की खेती की हैं वहां पर खरपतवार होने की संभावना हो सकती है. इस प्रकार की जमीन पर खरपतवार को नियंत्रित करने के उपाय को अपनाएं. इसके बाद उस खेत में 36 किलो ग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से करें.
धान खेती की बात करे तो शुरुआती अवस्था में तापमान में और नमी में बढ़ोतरी के कारण ब्लाइट या ब्लास्ट रोग के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इस संक्रमण से पौधों को बचाने के लिए वैभिस्टिन एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. वहीं रुक रुक वर्षा की स्थिति में नर्सरी में लीफ बोरर औऱ झुलसा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में रोग को फैलने से बचाने के लिए हेक्साकोनाजोल और प्लांटोमाइसन एक ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें. इसके बाद भी अगर किसानों को पौधो में ब्लास्ट रोग की समस्या दिखाई देती है तो किसान भाई टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत और ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत को 4 ग्राम प्रति डेढ़ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. सात से 10 दिनों के अंतराल पर यह छिड़काव करना चाहिए.
वहीं मक्का की खेती खेती करने वाले किसान भाई ध्यान दे की जिन खेतों में मकई अंकुरण की अवस्था में हैं वहां पर जलजमाव नहीं होने दे. इसलिए बारिश के बाद जितनी जल्दी हो सके अधिक पानी को खेत से निकाल दें. साथ ही बारिश बंद होने के बाद उर्वरक की बूस्टर डोज डालें और खरपतवार को नियंत्रित करने का उपाय करें.
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