सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर सांसदों (सांसदों) के लिए नवनिर्मित टाइप VII बहुमंजिला 184 फ्लैट्स का उद्घाटन किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने एक बार फिर सिंदूर का पौधा लगाया. सिंदूर भारत के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है. इस साल मई के महीने में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद जून में पर्यावरण दिवस के मौके पर सिंदूर का पौधा अपने घर पर लगाया था. सिंदूर का पौधा लगाना आसान है और आप भी आसानी से इसे बालकनी में उगा सकते हैं.
घर की बालकनी में अगर आप रंग और खुशबू दोनों चाहते हैं तो सिंदूर का पौधा आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है. इस पौधे को Bixa orellana नाम से मशहूर यह पौधा अपने लाल-नारंगी रंग के लिए जाना जाता है. यह पौधा धार्मिक और सजावटी दोनों तौर पर काफी लोकप्रिय है. अब इसे बड़े बगीचे की जरूरत नहीं और थोड़ी देखभाल के साथ ही यह पौधा बालकनी में भी आसानी से पनप सकता है.
सिंदूर के पौधे के लिए 12 से 16 इंच गहरा और चौड़ा गमला चुनना सबसे बेहतर माना जाता है. गमले के नीचे पानी निकासी के लिए छेद होना जरूरी है, जिससे अतिरिक्त पानी जमा न हो और जड़ें सड़ने से बचें.
पौधे के लिए 50 फीसदी बगीचे की मिट्टी, 25 फीसदी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट और 25 फीसदी बालू या पर्लाइट का मिश्रण तैयार करें. पौधा बीज से भी उगाया जा सकता है और नर्सरी से लाकर सीधे गमले में भी लगाया जा सकता है. बीज बोने से पहले उन्हें 12 घंटे पानी में भिगोना अंकुरण के लिए लाभकारी है.
सिंदूर के पौधे को प्रतिदिन 6 से 7 घंटे की सीधी धूप चाहिए. गर्मियों में रोज हल्का पानी दें, जबकि सर्दियों में 2–3 दिन के अंतराल पर ही पानी पर्याप्त है. हर महीने गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालने से पौधे की बढ़त और रंग दोनों में निखार आता है.
करीब 8 से 12 महीने में पौधे में फूल आना शुरू हो जाता है. फूलों के बाद बनने वाली फलियों में लाल-नारंगी पाउडर जैसा पदार्थ मिलता है और इसे ही सिंदूर कहा जाता है. यह न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल होता है बल्कि प्राकृतिक रंग के तौर पर भी काफी मशहूर है.
पत्तियों पर धब्बे या फफूंद दिखाई दे तो नीम तेल के छिड़काव से पौधे को सुरक्षित रखा जा सकता है. सूखी पत्तियों की समय-समय पर छंटाई करने से पौधा ज्यादा स्वस्थ और झाड़ीदार बनता है. विशेषज्ञों के अनुसार, अगर पौधे को सर्दियों में ठंडी हवा से बचाकर रखा जाए और मिट्टी को समय-समय पर ढीला किया जाए, तो यह पौधा सालों तक हरियाली और रंग बिखेरता रहता है.
सिंदूर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में तो सबको मालूम है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे पश्चिमी देशों में खाने-पीने की चीजों में भी प्रयोग किया जाता है. पश्चिमी देशों में इसे Annatto नाम से बेचा जाता है. इन देशों में नैचुरल फूड कलरिंग एजेंट के तौर पर पनीर, मक्खन, स्नैक्स, आइसक्रीम और बेकरी प्रॉडक्ट्स में रंग के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा लिपस्टिक, फेस पाउडर और बाकी मेकअप प्रोडक्ट्स में भी इसे प्रयोग करते हैं. वहीं साबुन, शैम्पू और लोशन के लिए तो यह एक हर्बल कलरिंग एजेंट है.
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