सरकार ने शुक्रवार को संसद में डिजिटल फसल सर्वेक्षण को लेकर कहा कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) के तहत एकत्र किए गए डेटा की सटीकता बनाए रखने में कई सारे तंत्र मदद करते हैं. इनमें जियो-रेफरेंसिंग, रियल-टाइम डेटा सूचना, फील्ड-लेवल डेटा कैप्चर, पर्यवेक्षक अनुमोदन और राज्यों द्वारा नमूना जांच जैसे तंत्र शामिल हैं. शुक्रवार को राज्यसभा में DCS के तहत एकत्र किए गए डेटा की सटीकता को सत्यापित करने के तंत्र पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि डीसीएस मोबाइल एप्लिकेशन इंटरफेस के माध्यम से बोई गई फसल की जानकारी एकत्र करने के लिए आयोजित किया जाता है, यह सुनिश्चित करता है कि डेटा सीधे खेत से कैप्चर किया जाए.
उन्होंने कहा, "चूंकि ग्राम पंचायत में सभी भूखंड (जमीन का टुकड़ा) जियो-रेफरेंस्ड हैं, इसलिए यह प्रत्येक कृषि भूखंड के लिए सटीक, वास्तविक समय की फसल-क्षेत्र की जानकारी देता है. इसके अलावा उत्पादन के आंकड़ों का सटीक अनुमान लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि डीसीएस में डेटा की क्वालिटी और सटीकता की जानकारी के लिए विस्तृत प्रशासनिक और तकनीकी तंत्र अपनाए गए हैं, उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण क्षेत्र स्तर पर किया जाना चाहिए जिसमें भूखंड स्थान पर बोई गई फसल के करीब खेत की तस्वीर लेना अनिवार्य है. इसके बाद, फील्ड स्टाफ द्वारा एकत्रित सर्वेक्षण जानकारी को पर्यवेक्षकों की स्वीकृति की आवश्यकता होती है.
इसके अलावा, राज्यों को राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरण या राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के माध्यम से न्यूनतम 2 प्रतिशत नमूना जांच करके इस डेटा की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी है. उन्होंने कहा, "इससे प्लॉट-स्तर पर एकत्रित किए जा रहे डेटा की क्वालिटी की गुणात्मक जांच भी होती है."
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इससे अलग से पूछे गए सवाल पर कि क्या सरकार डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए किसानों को स्मार्टफोन या इंटरनेट एक्सेस जैसी डिजिटल सुविधाएं खरीदने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है, इसके जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ी है, लेकिन जिन किसानों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, उनके डिजिटल समावेशन को सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए गए हैं. ऐसे किसान मौजूदा सहायता संरचनाओं जैसे किसान उत्पादक संगठनों, कृषि सखियों और सामान्य सेवा केंद्रों का उपयोग करके एग्रीस्टैक पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और सेवाओं और लाभों ले सकते हैं.
कृषि क्षेत्र में एआई के उपयोग पर एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सरकार ने किसानों की सहायता के लिए कृषि क्षेत्र में अलग-अलग चुनौतियों का समाधान करने के लिए AI विधियों को शामिल किया है.
उन्होंने कहा कि ‘किसान ई-मित्र’, एक एआई-संचालित चैटबॉट है, जिसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में किसानों के सवालों के जवाब देने में सहायता के लिए विकसित किया गया है, यह कई भाषाओं में जानकारी मुहैया कराता है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सहायता करने के लिए विकसित हो रहा है. वर्तमान में, यह प्रतिदिन 20,000 से अधिक किसानों के सवालों को जवाब देता है. वहीं, इसकी मदद से अब तक 92 लाख से अधिक सवालों के जवाब दिए जा चुके हैं.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपज के नुकसान से निपटने के लिए राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली फसल के मुद्दों में कीटों के संक्रमण का पता लगाने के लिए AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है, जिससे स्वस्थ फसलों के लिए समय पर हस्तक्षेप संभव हो पाता है. वर्तमान में 10,000 से अधिक विस्तार कार्यकर्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले इस उपकरण से किसान कीटों के हमलों को कम करने और फसल के नुकसान को कम करने में मदद करने के लिए कीटों की तस्वीरेंं खींच सकते हैं.
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