रबी की फसलों की कटाई के बाद अब खरीफ फसलों की बुवाई का समय आ गया है. ज्यादातर किसान इसकी तैयारी में जुट गए हैं. अगर खरीफ फसलों की बात करें तो सबसे पहले धान का नाम आता है. हालांकि, धान के अलावा खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंगफली, सोयाबीन, कपास आदि शामिल हैं. ऐसे में अगर धान की खेती की बात करें तो किसानों को न सिर्फ ज्यादा मेहनत बल्कि पानी और लागत की भी ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में किसानों की मेहनत, पानी और पैसे बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक खोजी है. जिसकी मदद से किसान धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है वो तरीका.
धान की खेती की बढ़ती लागत किसानों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है. इसका मुख्य कारण महंगी मजदूरी है. किसानों को इस दबाव से बचाने के लिए DSR तकनीक लागू की गई. DSR धान की रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें धान को सीधे मिट्टी में हाथ से या मशीनों के माध्यम से रोपा जाता है.
इस तकनीक में किसानों को पहले नर्सरी में पौधे उगाने और फिर उन्हें खेत में रोपने की जरूरत नहीं होती. इन दोनों ही मामलों में खेत को पूरी तरह पानी से भरने की जरूरत होती है. इसके अलावा डीएसआर पद्धति कई सालों से चलन में है लेकिन भारत के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में यह पद्धति लोकप्रिय नहीं हो पाई है.
अगर परंपरागत तरीके से धान की खेती की जाए तो सबसे पहले किसानों को धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. जिसमें किसानों को लंबा समय लगाना पड़ता है. ऐसे में किसानों को इस मेहनत से बचाने के लिए डीएसआर तकनीक लाई गई है. इस मशीन से धान की खेती करने के लिए किसानों को धान की नर्सरी तैयार करने की जरूरत नहीं है. केंद्र इस संबंध में समय-समय पर किसानों को ट्रेनिंग भी देता है. डीएसआर मशीन के जरिए किसान सीधे खेत में धान के बीज बो सकते हैं. इससे बुवाई में कम मेहनत और पानी की जरूरत होती है. साथ ही अधिक क्षेत्रफल में कम समय में बुवाई पूरी की जा सकती है.
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डीएसआर मशीन (DSR Machine) का पूरा नाम डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन है. यह मशीन धान की पारंपरिक रोपाई से अलग काम करती है. इस मशीन से बुवाई से पहले खेत को लेजर लैंड लेवलर से समतल करना होता है. उसके बाद डीएसआर मशीन से बुवाई की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इसके बाद इस मशीन से खाद और बीज को एक साथ बोया जाता है. यह मशीन बुवाई करते समय खेत में एक पतली लाइन बनाती है. मशीन से लगे दो अलग-अलग पाइप से खाद और बीज अलग-अलग गिरते हैं. जिससे धान के बीज बोए जाते हैं.
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इस तकनीक से धान की बुवाई करने पर फसल रोपाई से लगाई गई धान की फसल की तुलना में 7 से 10 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है. जिससे धान की फसल के बाद लगाई जाने वाली फसलों की रोपाई समय पर की जा सकती है. वहीं डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करने पर कम मजदूरों की जरूरत पड़ती है. क्योंकि इस विधि से 1 एकड़ खेत में धान लगाने के लिए सिर्फ 2 या 3 मजदूरों की जरूरत होती है. जब धान की खेती पारंपरिक तरीकों से की जाती है तो सबसे पहले धान की नर्सरी तैयार करनी होती है और इस नर्सरी को तैयार होने में 21 से 30 दिन का समय लगता है.
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