Agritech Startup: एग्रीकल्चर ड्रोन बनाने वाले स्टार्टअप भारतरोहण ने फैलाए पंख, अब यूरोप में करेंगे मसालों का निर्यात

Agritech Startup: एग्रीकल्चर ड्रोन बनाने वाले स्टार्टअप भारतरोहण ने फैलाए पंख, अब यूरोप में करेंगे मसालों का निर्यात

BharatRohan Agritech startup: एग्रीकल्चर में तेजी से उभरता स्टार्टअप भारतरोहण अब एक्सपोर्ट बिजनेस में भी अपने पंख फैला रहा है. भारतरोहण किसानों को ड्रोन की मदद से प्रिसिजन फार्मिंग करने की सर्विस देते हैं और अब ये कंपनी मसालों के एक्सपोर्ट में भी आगे बढ़ रही है.

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Agritech Startup: एग्रीकल्चर ड्रोन बनाने वाले स्टार्टअप भारतरोहण ने फैलाए पंख, अब यूरोप में करेंगे मसालों का निर्यातभारतरोहन स्टार्टअप करेगा मसाले एक्सपोर्ट

ड्रोन बनाने वाली कंपनी भारतरोहण अब निर्यात के काम में भी अपने कदम बढ़ा रही है. ये कंपनी कई मसाले जैसे जीरा, धनिया, मिर्च और अदरक के एक्सपोर्ट का भी काम करेगी. कंपनी के डायरेक्टर और को फाउंडर अमनदीप पंवार का कहना है कि कंपनी जल्द ही Residue free farming(रेसिड्यू फ्री फार्मिंग)  से उगाये जाने वाले मसाले जैसे जीरा, मिर्च, अदरक या धनिया सीधे किसानों से खरीदेगी और फिर इसे यूरोप और चीन के मार्केट में बेचेगी. कंपनी ऐसे किसानों से सामान खरीदेगी जो इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट तरीका अपनाकर खेती कर रहे हैं. फिलहाल भारतरोहन किसानों से सीधे माल खरीदती है और उसे देश में बड़ी-बड़ी कंपनी को बेचती है. इस काम में कंपनी को काफी संभावनाएं दिख रही हैं इसलिए वो एक्सपोर्ट बिजनेस में आगे बढ़ना चाहती हैं और इसके लिए जरूरी सर्टिफिकेट ले लिए हैं. 

क्या है रेसिड्यू फ्री फार्मिंग?

खेती में कम केमिकल और खाद का इस्तेमाल करने पर जोर है और इसके लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग या रेसिड्यू फ्री फार्मिंग की ओर ध्यान बढ़ रहा है. रेसिड्यू फ्री फार्मिंग में किसी फसल को उगाने में कम उर्वरक या प्राकृतिक ढंग से बने बायोफर्टिलाइजर का इस्तेमाल किया जाता है जिससे फसल की ग्रोथ अच्छी हो और उसे कीट पंतग या बीमारी से बचाया जा सके. इस तरह की खेती लोगों के अलावा पर्यावरण की सेहत के लिए भी अच्छी है. 

क्या काम करता है एग्रीटेक स्टार्टअप भारतरोहण ?

गुडगांव बेस्ड ये कंपनी ड्रोन बनाती है और फिर ड्रोन की मदद से प्रिसिजन फार्मिंग करती है. ये कंपनी उन किसानों से मसाले खरीदती है जो इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट(IPM) तरीके से खेती करते हैं. कंपनी मेघालय से जीरा, राजस्थान से धनिया और तेलांगाना के किसानों से मिर्च और हल्दी खरीदती है. कंपनी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में धान और गेंहू की फसल को भी इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट(IPM) तरीके से उगाने की दिशा में काम कर रही है.  
ये कंपनी 5 राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मेघालय में करीब 50 हजार एकड़  में किसानों को प्रिसिजन फार्मिंग सर्विस दे रही है. अगले 2 साल में कंपनी का लक्ष्य 50 हजार एकड़ से 5 लाख एकड़ जमीन पर प्रिसिजन फार्मिंग करने का इरादा है और इसके लिए कंपनी महाराष्ट्र, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में काम शुरू करेगी. कंपनी 10 से ज्यादा FPO  के साथ काम कर रही है और जल्द ही 123 और FPO के साथ जुड़ने जा ही है ताकि वो खेती के इस बिजनेस में तेजी से आगे बढ़ सके.

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प्रिसिज़न फार्मिंग क्या है?

सामान्य भाषा में समझें तो जब खेती को तकनीक की मदद से और साइंटिफिक तरीके से किया जाए तो वो प्रिसिजन फार्मिंग है. प्रिसिजन एग्रीकल्चर में फसल को ड्रोन और सेटेलाइट की मदद से देखा और अवलोकन किया जाता है, उसकी हेल्थ, ग्रोथ और बीमारी के बारे में सही डेटा इकठ्ठा किया जाता है और जिस फसल को या खेत के जिस हिस्से को जितनी दवा, खाद या कीटनाशक, पानी की जरूरत है और उसी हिसाब से दिया जाता है ताकि संसाधनों का कम दुरुपयोग हो, खर्च कम हो और फसल भी बढ़िया हो. 

 

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