अफ्रीकी देशों में लगेंगे Sistema Bio के बायोगैस प्लांट, गोबर-कृषि कचरे से गैस बनाकर ग्रामीणों की हो रही मोटी बचत 

अफ्रीकी देशों में लगेंगे Sistema Bio के बायोगैस प्लांट, गोबर-कृषि कचरे से गैस बनाकर ग्रामीणों की हो रही मोटी बचत 

सिस्टेमा बायो अब भारत के अलावा अफ्रीकी देशों में भी बायोगैस प्लांट लगाएगी. इससे गोबर, कृषि अवशेषों के इस्तेमाल किया जा रहा है. कंपनी ने भारत में 90 हजार से ज्यादा बायोगैस प्लांट लगाकर किसानों, ग्रामीणों और पशुपालकों की बचत को बढ़ाया है.

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अफ्रीकी देशों में लगेंगे Sistema Bio के बायोगैस प्लांट, गोबर-कृषि कचरे से गैस बनाकर ग्रामीणों की हो रही मोटी बचत कंपनी भारत के बाद अब अफ्रीकी देशों में कारोबार बढ़ा रही है और वहां बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे.

पशुपालकों और ग्रामीणों के लिए हर महीने 1000 रुपये तक बचाने के लिए गोबर गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है. बायोगैस प्लांट लगाने वाली कंपनी सिस्टेमा बायो (Sistema Bio) अब अफ्रीकी देशों में भी बायोगैस प्लांट लगाएगी. कंपनी ने भारत में 90 हजार से ज्यादा बायोगैस प्लांट लगाकर किसानों, ग्रामीणों और पशुपालकों की बचत को बढ़ाया है. कंपनी विस्तार योजना के तहत भारत के बाद अब अफ्रीकी देशों में कारोबार बढ़ा रही है और वहां बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे. 

दुनियाभर में किसानों के लिए बायोगैस तकनीक, वित्तपोषण और सेवाओं की डिलीवरी में वैश्विक स्तर की अग्रणी कंपनी सिस्टेमा बायो ने नोवास्टार वेंचर्स (Novastar Ventures) को अपना नया निवेशक घोषित किया है. कंपनी के बयान के अनुसार नोवास्टार ने 3.5 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ सिस्टेमा.बायो अफ्रीकी बाजार में पैर जमाने जा रही है. इससे सिस्टेमा.बायो के नए अफ्रीकी बाजारों, नए कृषि और ऊर्जा उत्पादों और इसके समग्र विकास में तेजी आएगी. नोवास्टार वेंचर्स का निवेश सिस्टेमा बायो के मिशन को मज़बूत करता है, जो कम संसाधन वाले किसानों को आर्थिक विकास, जलवायु लचीलापन और पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने वाले टिकाऊ समाधानों को उपलब्ध कराता है. 

सिस्टेमा बायो की इनोवेटिव तकनीक और वित्तपोषण किसानों को कृषि अपशिष्ट को अक्षय ऊर्जा और उर्वरक में बदलने में सक्षम बनाता है. यह किसानों के लिए आर्थिक, स्वास्थ्य और उत्पादकता लाभ को बढ़ाता है. जलवायु परिवर्तन के लिए उनकी लचीलापन का निर्माण करता है जबकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है. सिस्टेमा बायो की इनोवेटिव बायोगैस प्रणाली और डिजिटल मापन, रिपोर्टिंग और सत्यापन तकनीक नोवास्टार के मिशन के साथ अच्छी तरह से मेल खाती है.

5 साल में 1 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य 

सिस्टेमा बायो के बयान में कहा गया है कि यह निवेश अफ्रीका भर में हमारी सेवाओं को बढ़ाना है और प्रभावशाली समाधानों के साथ और भी अधिक किसानों को मजबूत करना है. हम 2030 तक वार्षिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 1 फीसदी की कमी हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. नोवास्टार के निवेश के साथ सिस्टेमा बायो ने 2024 में क्षेत्रीय भौगोलिक विकास और नए उत्पादों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कुल 18.5 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है. यह फंडिंग अक्षय ऊर्जा की वैश्विक मांग को पूरा करने, पुनर्योजी कृषि समाधानों को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने वाली परियोजनाओं का समर्थन करने में भी मदद करेगी. 

गोबर और कृषि कचरे से बनती है बायोगैस 

सिस्टेमा बायो में डायरेक्टर फॉर साउथ एशिया अतुल मित्तल ने बताया कि बायोगैस एक जैविक ईंधन है, जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से बनता है. यह गाय या भैंस के गोबर, पोल्ट्री या स्वाइन फार्मिंग का गोबर या फिर कृषि कचरे का इस्तेमाल करके बनता है. इससे बायोगैस बनती है, जिसमें मीथेन गैस होती है और उसे खाना पकाने के लिए कुकिंग गैस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा क्लीन एनर्जी और जैविक खाद बनाई जाती है. 

सालाना 15 हजार रुपये तक बचा रहे किसान 

अतुल मित्तल ने कहा कि भारत में 90 हजार से ज्यादा बायोगैस प्लांट लगाए गए हैं. बायोगैस प्लांट से पैदा होने वाली बायोगैस से कुकिंग गैस बनती है. जिन किसानों के यहां प्लांट लगाए गए हैं वो उस गैस से खाना बनाते हैं और उन्हें एलपीजी सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ती है. उन परिवारों को चूल्हे के लिए लकड़ी, कोयला भी नहीं जुटानी पड़ती. बायोगैस प्लांट लगाने के बाद किसानों का रसोई गैस सिलेंडर का खर्च बच जाता है. लकड़ी और कोयले की भी बचत होती है. उन्होंने कहा कि अनुमान है कि किसी भी साधारण परिवार में 800 रुपये से लेकर 1000 रुपये प्रतिमाह कुकिंग गैस या चूल्हे में खर्च होते हैं. इस तरह से बायोगैस प्लांट के जरिए किसान, ग्रामीण और पशुपालक सालाना करीब 15 हजार रुपये तक बचा पा रहे हैं. 

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