खेती के तरीके बदल रही RMSI की इमेजरी और AI तकनीक, सेटेलाइट डेटा से बता रहे कौन सी फसल कहां बेहतर पैदा होगी

खेती के तरीके बदल रही RMSI की इमेजरी और AI तकनीक, सेटेलाइट डेटा से बता रहे कौन सी फसल कहां बेहतर पैदा होगी

बिजनेस हेड सौरभ दयाल ने बताया कि वह राज्य सरकारों और एग्री सेक्टर में काम कर रही निजी कंपनियों के साथ टाइअप करके उन्हें रीजन के हिसाब से मौसम और भौगोलिक स्थितियों और मिट्टी, पानी का एनालिसिस करके डेटा उपलब्ध करा रहे हैं. केंद्र सरकार के चमन और फसल सॉफ्टवेयर के लिए भी काम किया जा रहा है.

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खेती के तरीके बदल रही RMSI की इमेजरी और AI तकनीक, डेटा से बता रहे कौन सी फसल कहां बेहतर पैदा होगीसौरभ दयाल ने बताया कि राज्य सरकारों और एग्री सेक्टर की कंपनियों के साथ मिलकर किसानों की मदद की जा रही है.

खेती में तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि किसानों में कम जागरूकता और पारंपरिक सोच के चलते इसे बूम स्पीड में लागू करने में दिक्कतें देखी जा रही हैं. सेटेलाइट डाटा के जरिए मैपिंग करने वाली कंपनी RMSI Cropalytics ने कहा है कि वह अपने जियोस्पाटिकल सॉफ्टवेयर तकनीक और डेटा की मदद से खेती की दिशा और तरीका बदलने की ओर बढ़ रही है, ताकि किसानों को अधिक पैदावार के साथ ही क्वालिटी भी मिल सके. इसके साथ ही मौसम और भूस्थानीय स्थितियों के चलते फसलों को नुकसान से बचाया जा सके. RMSI Cropalytics के बिजनेस डेवलपमेंट हेड सौरभ दयाल ने 'किसान तक' से खेती में तकनीक के इस्तेमाल और रिमोट सेंसिंग के फायदे से लेकर इसके भविष्य पर खुलकर बात की. 

जिओग्राफिक इनफॉर्मेशन सिस्टम के तहत अपने सॉफ्टवेयर, इमेजरी डाटा, रिमोट सेंसिंग और सेटेलाइट डाटा की मदद से मैपिंग कर खेती के विकास में योगदान कर रही RMSI Cropalytics  के बिजनेस डेवलपमेंट हेड सौरभ दयाल ने बताया कि भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार प्रयासरत है. हमारी कंपनी मौसम और स्थानीय भूमि स्थितियों पर राज्य सरकारों के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हर राज्य में अलग भौगोलिक स्थितियां हैं और मौसम भी स्थिर नहीं है. ऐसे में हाई क्वालिटी उपज के साथ बंपर पैदावार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि हमें सटीक फसल की बुवाई करने की जानकारी उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि हम यही सॉल्यूशन लेकर राज्य सरकारों और निजी कंपनियों के जरिए किसानों तक पहुंचाते हैं. 

यूपी समेत 7 से अधिक राज्यों के साथ काम 

सौरभ दयाल ने बताया कि वह राज्य सरकारों और एग्री सेक्टर में काम कर रही निजी कंपनियों के साथ टाइअप करके उन्हें रीजन के हिसाब से मौसम और भौगोलिक स्थितियों और मिट्टी, पानी का एनालिसिस करके डेटा उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में यूपी में सरकार के साथ काम कर रहे हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान में काम किया जा रहा है. निजी कंपनियों में बीज और कीटनाशक बनाने वाली वैश्विक कंपनी बायर, कोर्टेवा, सिंजेंटा और आइटीसी समेत दूसरी अन्य कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं. जबकि, ट्रैक्टर समेत अन्य कृषि मशीने बनाने वाली कंपनियों जॉन डीर, महिंद्रा के साथ भी वह काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह करीब 100 एग्री सेक्टर की कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं.

केंद्र के दो सॉफ्टवेयर के लिए काम रही RMSI Cropalytics

टिकाऊ और तकनीक आधारित खेती के लिए केंद्र सरकार के साथ RMSI Cropalytics काम कर रही है. केंद्र सरकार के चमन और फसल नीतियों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि फसल सॉफ्टवेयर  अंतरिक्ष, कृषि मौसम विज्ञान और भूमि आधारित एनालिटिक्कस का इस्तेमाल करके कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान लगाता है. चमन  सॉफ्टेवयर भू-सूचना विज्ञान का इस्तेमाल करके समन्वित बागवानी मूल्यांकन और प्रबंधन की जानकारी देता है. 
FASAL (Forecasting Agricultural output using Space, Agro-meteorology and Land based observations)
CHAMAN (Coordinated Horticulture Assessment and Management using geo-informatics)

सेटेलाइट डाटा, इमेजरी और AI से एनालिसिस आसान 

उन्होंने बताया कि हम पूरे भारत में बड़े पैमाने पर लागत प्रभावी फसल निगरानी के लिए सेटेलाइट डेटा, रिमोट सेंसिंग और एआई का इस्तेमाल करते हैं. हमारे एआई मॉडल लाखों हेक्टेयर सेटेलाइट डेटा को एनालाइज करते हैं. उन्होंने कहा कि पारंपरिक सर्वे और सैंपल कलेक्शन से पूरे एग्रीकल्चर जानकारी इकट्ठा नहीं हो पाती है. सेटेलाइट डेटा बड़े क्षेत्र और बड़े स्तर पर आकाश से इमेज उपलब्ध कराता है. इससे हमें गांव स्तर पर फसल स्वास्थ्य, विकास चरण, फसल के प्रकार और संभावित समस्याओं  की निगरानी करने में मदद मिलती है. हम निगरानी के लिए एआई से चलने वाले मॉडल क्रिएट करते हैं अलग-अलग जगहों पर सेटेलाइट इमेजरी को एनालाइज करते हैं. इससे हमें फसल की स्थिति और विकास चरणों की सटीक पहचान करने में मदद मिलती है. 

कीट और जलवायु प्रभाव से बचाव के सॉल्यूशन दे रहे 

सेटेलाइट इमेजरी के जरिए डेटा को लगातार ट्रैक करके, हम फसलों की निगरानी कर सकते हैं, कम मिट्टी की नमी जैसे फैक्टर्स का पता लगा सकते हैं और प्रभावी सिंचाई समाधान दे सकते हैं. उपग्रह डेटा भी कीटों के प्रकोप के जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकता है, जिससे फसल की पैदावार की रक्षा के लिए शीघ्र और समय पर कदम उठाना संभव हो पाता है. ये मॉडर्न उपकरण हमें ग्रामीण स्तर पर सुझाव देने में और किसानों को सूचना के आधार पर उचित निर्णय लेने में हेल्प करते हैं. 

डेटा के इस्तेमाल से किसानों को मिल रही मदद 

सौरभ दयाल ने बताया कि RMSI Cropalytics सीधे किसानों के साथ काम नहीं करता है, बल्कि एग्री वैल्यू चेन में प्रमुख साझेदारों जैसे कृषि इनपुट सप्लाई करने वाली कंपनियों, एफपीओ, सरकारी एजेंसियों के साथ मिल कर काम करता है और किसानों को सशक्त बनाने में मदद करता हैं. इन सभी साझेदारों को सटीक और व्यवहारिक सूचना देकर हम उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं जिससे किसानों को लाभ होता है. उन्होंने बताया कि RMSI Cropalytics की सूचनाओं और विश्लेषण की मदद से कंपनियां फसलों की उपलब्ध आपूर्ति का सटीक अनुमान लगा सकती हैं. इन अनुमानों के आधार पर वे एफपीओ और किसानों के साथ आगे के समझौते करती हैं. इससे कंपनियों को अपनी सप्लाई चेन बिना किसी बाधा के चलाने में मदद मिलती है और किसानों को खरीदार और स्थिर आय पाने का लाभ मिलता है. क्रॉपलिटिक्स अनुमान के साथ इन कंपनियों के पास फसल की उपलब्धता और समय की स्पष्ट जानकारी होती है, जिससे उन्हें किसानों से खरीद स्ट्रैटजी की योजना बनाने और खेत से बाजार तक पूरी प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने में सहायता मिलती है.

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