आम को फल मक्खी से बचाएं: बंपर पैदावार के लिए अपनाएं 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' तकनीक

आम को फल मक्खी से बचाएं: बंपर पैदावार के लिए अपनाएं 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' तकनीक

Mango Farming: आम की फसल को फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) से भारी नुकसान होता है, जिससे उपज 90 परसेंट तक कम हो सकती है. डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, जिसकी सुंडियां फल के गूदे को खाकर उसे सड़ा देती हैं. इस समस्या से निपटने के लिए 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' सबसे प्रभावी तरीका है. यह पर्यावरण-हितैषी और लागत प्रभावी तकनीक है, जिससे आम की बंपर पैदावार संभव है.

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आम को फल मक्खी से बचाएं: बंपर पैदावार के लिए अपनाएं 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' तकनीकMango farming: आम की फसल को कीटों से बचाना जरूरी

फलों का राजा आम, जिसका नाम भले ही आम' है, लेकिन यह लोगों के लिए कितना खास है, यह किसी शौकीन से पूछकर देखिए, जो सालभर इसके फलों के बाजार में आने का इंतजार करता है. लेकिन इतने खास फल की बागवानी में एक खतरनाक कीट, फल मक्खी यानी फ्रूट फ्लाई, के कारण बहुत ज्यादा नुकसान होता है. यह सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि आम प्रेमियों के लिए भी चिंता का विषय है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-समस्तीपुर, बिहार के प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि फल मक्खी कीट की वजह से आम की उपज को 1 से लेकर 90 प्रतिशत तक, और कभी-कभी तो शत प्रतिशत नुकसान हो सकता है. यह कीट आम की खेती के लिए एक बड़ा 'नासूर' बन चुका है, जिसका प्रभाव भारत समेत दुनिया के कई देशों में देखा जा रहा है.

कैसे करती है फल मक्खी आम को नुकसान?

डॉ. सिंह ने बताया कि आम की फल मक्खी कीट अप्रैल-मई महीने में नुकसान करना शुरू कर देती है. इस कीट की नवजात सुंडियां (लार्वा) पहले फल के छिलके को खाती हैं और फिर अंदर घुसकर गूदे को खाना शुरू कर देती हैं, जिससे फल खराब हो जाता है. वयस्क फल मक्खी घरेलू मक्खी के बराबर होती है, जिन पर पीले रंग की धारियां होती हैं. इसकी मादा अपने जीवनकाल में 300 से ज्यादा अंडे देती है.

फल मक्खी लगभग आम के आधे आकार के फल जब तैयार हो जाते हैं, तब सफेद रंग की बिना पैर वाली सुंडियां फल के गूदे को खाकर उसे सड़ा देती हैं, जिसके कारण फल समय से पहले ही गिरने लगते हैं. ये लार्वा फिर वापस मिट्टी में चले जाते हैं और बाद में वयस्क मक्खी के रूप में बाहर आते हैं, जिससे यह चक्र चलता रहता है और नुकसान बढ़ता जाता है.

'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' – सबसे प्रभावी विकल्प

डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि फल मक्खी के रोकथाम के लिए "फ्रूट फ्लाई ट्रैप" सबसे बढ़िया और कारगर विकल्प है. यह एक पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी तरीका है.

ट्रैप लगाने का तरीका

प्रति हेक्टेयर 15-20 फेरोमोन ट्रैप (मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप) लगाए जा सकते हैं. इन ट्रैपों को पेड़ की निचली शाखाओं पर 4 से 6 फीट की ऊंचाई पर बांधना चाहिए. एक ट्रैप से दूसरे ट्रैप के बीच 35 मीटर की दूरी रखें. ट्रैप को कभी भी सीधे सूर्य की किरणों में नहीं रखना चाहिए और न ही आम की बहुत घनी शाखाओं के बीच बांधना चाहिए. ट्रैप बाग में स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए कि वह कहां बांधा गया है. ट्रैप बांधने की अवस्था फल पकने से कम से कम 60 दिन पहले होनी चाहिए. हर 6 से 10 सप्ताह के अंतराल पर नर फ्रूट फ्लाई फेरोमोन ल्यूर (आकर्षक सुगंध) बदलते रहना चाहिए.

ट्रैप कैसे काम करता है?

यह ट्रैप एक साधारण मेल एनीहिलेशन तकनीक (MAT) पर काम करता है. ट्रैप में एक छोटा प्लास्टिक कंटेनर होता है जिसमें प्लाईवुड का एक टुकड़ा होता है जिसे मिथाइल यूजेनॉल और डाइक्लोरोवोस से उपचारित किया जाता है. इसे पेड़ पर लटका दिया जाता है. यह जाल विशेष रूप से नर फल मक्खी को आकर्षित करता है. जब नर मक्खियां जाल में फंस जाती हैं, तो मादा मक्खियों को प्रजनन करने के लिए नर नहीं मिल पाते, जिससे उनकी संख्या कम हो जाती है और फल संक्रमण से मुक्त हो जाते हैं.

इस तकनीक को अपनाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता और हमारे मित्र कीटों को भी कोई हानि नहीं पहुंचती. इस विधि ने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों को आमों के निर्यात की सुविधा प्रदान की है, जिन्होंने पहले फल मक्खी के कारण भारतीय आमों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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